गणपति के इन मंदिरों में दर्शन मात्र से दूर होते हैं दु:ख, पूरी होती हैं सभी मनोकामनाएं

सनातन परंपरा में भगवान श्री गणेश जी (Lord Ganesha) की साधना सभी दु:ख और परेशानियों को दूर करके सुख और सौभाग्य को प्रदान करने वाली है. देश में भगवान श्री गणेश के कई ऐसे प्रसिद्ध मंदिर हैं, जहां पर उनके दर्शन के लिए प्रतिदिन देश-विदेश से हजारों-लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. ऋद्धि-सिद्धि के दाता के इन पावन धाम पर जाने वाला कोई भी गणपति (Ganapati) भक्त खाली हाथ नहीं लौटता है. गणपति हर गरीब-अमीर आदमी की झोली खुशियों से भरते हैं. आइए भगवान श्री गणेश जी के कुछ ऐसे ही प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जानते हैं.

महाराष्ट्र के अष्टविनायक

देश के प्रसिद्ध गणपति मंदिरों में महाराष्ट्र के अष्टविनायक (Ashtvinayak) का प्रमुख स्थान है. जिस तरह देश में भगवान शिव की पूजा के लिए द्वादश ज्योतिर्लिंग और शक्ति की साधना के लिए 51 शक्तिपीठ हैं, उसी तरह गणपति के ये आठ पावन धाम हैं, जिन्हे गणपति भक्त अष्टविनायक नाम से जानते हैं. इनमें पुणे स्थित मयूरेश्वर मंदिर, अहमद नगर स्थित सिद्धिविनायक मंदिर, पाली स्थित बल्लालेश्वर मंदिर, रायगढ़ स्थित वरदविनायक मंदिर, पुणे स्थित चिंतामणी और गिरिजात्मज अष्टविनायक मंदिर, ओझर स्थित विघ्नेश्वर अष्टविनायक मंदिर और राजण्गांव स्थित महागणपति मंदिर शामिल है.

सिद्धिविनायक, मुंबई

भगवान सिद्धिविनायक  का मंदिर भारत की आर्थिक राजधानी कहलाने वाली मुंबई (Mumbai) के प्रभादेवी में स्थित है. गणपति के इस पावन धाम की गिनती देश के अमीर मंदिरों में होती है. महाराष्ट्र के अष्टविनायक में न होने के बावजूद इस मंदिर की महिमा देश के किसी भी प्रसिद्ध गणेश मंदिरों से कम नहीं है. भगवान गणेश के इस पावन सिद्धपीठ में देश-विदेश से प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

खजराना का प्रसिद्ध गणेश मंदिर

मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में खजराना के गणपति की महिमा देश-विदेश में फैली है. गणपति के इस मंदिर में आने वाले भक्तों का मानना है कि यहां दर्शन मात्र से ही सारे दु:ख दूर हो जाते हैं. महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा बनवाए गये इस मंदिर में आने वाला कोई भी व्यक्ति गणपति के आशीर्वाद के बगैर नहीं जाता है. भगवान श्री गणेश यहां पर रिद्धि-सिद्धि के साथ विराजमान हैं.

आंध्र प्रदेश के रेजंतल गणपति

आंध्र प्रदेश के रेजंतल में स्थित भगवान गणेश का यह मंदिर पर्वत की गोद में बसा है. मान्यता है कि लगभग 350 साल पहले पौष मास की शुक्ल चतुर्थी विनायक चतुर्थी के दिन किसी गणपति भक्त ने पूजन के बाद अकारण ही जय सिद्धि विनायक कहते हुए अपना हाथ जमीन पर दे मारा. मान्यता है कि उसी क्षण भगवान सिद्धि विनायक की मूर्ति यहां पर प्रकट हुई. जिसे बाद में गणपति भक्तों ने विधि-विधान से पूजा करके यहां पर स्थापित किया. भगवान श्री गणेश के इस मंदिर में प्रतिदिन बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं.