भविष्य में एलपीजी सिलेंडर (LPG Price) के महंगे होने की संभावना है. हालिया बजट (Budget 2022) में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फ्यूल सब्सिडी (Fuel Subsidy) में कटौती की है. इस कटौती से सब्सिडी में मिलने वाला पैसा घट सकता है. एलपीजी पर सब्सिडी के लिए सरकार फंड आवंटित करती है. इस बार के बजट में फंड की राशि घटने से सब्सिडी कम मिलने की संभावना है. कोरोना के बीच सरकार ने कई महीने से सब्सिडी बंद कर रखी है. कुछ राज्यों को छोड़ दें तो एलपीजी सिलेंडर को सब्सिडी नहीं दी जा रही है. इसका सबसे बुरा असर कम आय वाले परिवारों और मध्यम वर्गीय लोगों पर देखा जा रहा है.
इस बार के बजट में सरकार ने फर्टिलाइजर, फूड और पेट्रोलियम सब्सिडी में कटौती की है. ये तीनों सब्सिडी आम लोगों के लिए बहुत अहम हैं. तीनों की तुलना करें तो पेट्रोलियम सब्सिडी सबसे कम है, लेकिन इसका सबसे बड़ा असर देखा जाएगा. पिछले बजट में पेट्रोलियम सब्सिडी के लिए 6,500 करोड़ रुपये दिए गए थे. लेकिन इस बार के बजट में यह 10.76 परसेंट घटकर 5,800 करोड़ रुपये पर आ गया है.
कौन सबसे ज्यादा प्रभावित
सब्सिडी कटौती से सबसे अधिक प्रभावित ग्रामीण इलाकों के गरीब परिवार होंगे. इन परिवारों को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) के तहत मुफ्त में एलपीजी कनेक्शन मिले हैं. जब तक सब्सिडी का लाभ मिलता रहे, इन परिवारों ने एलपीजी सिलेंडर भरवाया. लेकिन सब्सिडी बंद होने और सिलेंडर की महंगाई चरम पर पहुंचने से सिलेंडर रिफिल कम हो गया है. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के बारे में माना जाता है कि साल 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी की प्रचंड जीत में इसका सबसे बड़ा रोल था.
सब्सिडी कटौती का असर
एक अनुमान के मुताबिक पेट्रोलियम सब्सिडी में कमी आने से लगभग 20 करोड़ एलपीजी के उपभोक्ता प्रभावित होंगे. इन लोगों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर या DBT स्कीम में एलपीजी सब्सिडी दी जाती है. ये उपभोक्ता बाजार मूल्यों पर सिलेंडर खरीदते हैं, लेकिन उन्हें सरकार की तरफ से सब्सिडी सीधे उनके बैंक खाते में दी जाती है. पेट्रोलियम सब्सिडी कम होने से पैदा हुए अंतर को पाटने के लिए सिलेंडर के दाम बढ़ाने के अलावा दूसरा कोई उपाय नहीं दिखता.
साल 2015 में सरकार ने सिलेंडर के लाभार्थियों के बैंक खाते में 563 रुपये की सब्सिडी जमा करना शुरू किया था. 5 साल बाद दिसंबर 2020 का आंकड़ा बताता है कि लोगों के खाते में 20 रुपये तक सब्सिडी आई है. आज सिलेंडर का दाम 900 रुपये के आसपास है और ग्राहकों को कोई सब्सिडी भी नहीं मिल रही. डीबीटी स्कीम के अंतर्गत सरकार साल भर में एक परिवार को 12 सिलेंडर देती है. भारत में लगभग 28 करोड़ एलपीजी उपभोक्ता हैं. इनमें 1.5 करोड़ उपभोक्ता सब्सिडी से बाहर हैं क्योंकि उनकी सालाना कमाई 10 लाख से अधिक है.
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