विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (Foreign Portfolio Investors) ने फरवरी के पहले पखवाड़े में भारतीय बाजारों से 14,935 करोड़ रुपए की निकासी की है. यह लगातार चौथा महीना है जबकि एफपीआई बिकवाल रहे हैं. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एक से 11 फरवरी के दौरान एफपीआई ने शेयरों से 10,080 करोड़ रुपए और डेट या बॉन्ड बाजार से 4,830 करोड़ रुपए तथा हाइब्रिड माध्यमों से 24 करोड़ रुपए की निकासी की है. इस तरह उनकी कुल निकासी 14,935 करोड़ रुपए रही है. मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक (प्रबंधक शोध) हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘अमेरिका के केंद्रीय बैंक (US federal reserve) द्वारा नरम मौद्रिक रुख को छोड़ने के संकेत के बाद एफपीआई की बिकवाली बढ़ी है. अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी के संकेत के बाद वैश्विक स्तर पर बॉन्ड पर प्रतिफल (Bond Yield) बढ़ा है.’’
उन्होंने कहा कि अमेरिका में मुद्रास्फीति 40 साल के उच्चस्तर पर पहुंच गई है. ऐसे में अमेरिकी केंद्रीय बैंक आगामी महीनों में आक्रामक तरीके से ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर सकता है. इससे भारतीय शेयरों से विदेशी कोषों की निकासी और बढ़ सकती है. कोटक सिक्यॉरिटीज के इक्विटी शोध (खुदरा) प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा कि फरवरी में आज की तारीख तक उभरते बाजारों में प्रवाह का रुख मिलाजुला रहा है. उन्होंने बताया कि इस दौरान थाइलैंड, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया और फिलिपीन में निवेश का प्रवाह क्रमश: 115.5 करोड़ डॉलर, 58 करोड़ डॉलर, 47.7 करोड़ डॉलर और 13.3 करोड़ डॉलर रहा है. वहीं दूसरी ओर इस दौरान ताइवान से 41 करोड़ डॉलर की निकासी हुई है.
अभी FPI बिकवाली जारी रहेगी
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ‘‘वैश्विक बाजारों में कमजोरी के रुख तथा अमेरिका में 10 साल के बॉन्ड पर प्रतिफल बढ़ने से आगामी दिनों में एफपीआई की बिकवाली जारी रहेगी.’’
अमेरिका में महंगाई चार दशक के उच्चतम स्तर पर
ग्लोबल इकोनॉमी इस समय महंगाई (Inflation) और बढ़ती बॉन्ड यील्ड (Bond Yield) से परेशान है. जनवरी महीने में अमेरिका में महंगाई दर चार दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई. रिटेल इंफ्लेशन रेट 7.5 फीसदी पर पहुंच गया जो फरवरी 1982 के बाद सबसे ऊंचा स्तर है. महंगाई से उपभोक्ता परेशान हैं, वेतन वृद्धि प्रभावित हो रही है. महंगाई बढ़ने के कारण फेडरल रिजर्व (US federal reserve)पर इंट्रेस्ट रेट बढ़ाने का दबाव बढ़ रहा है. अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने इंफ्लेशन का टार्गेट 2 फीसदी रखा है. ऐसे में 7.5 फीसदी का इंफ्लेशन बहुत ज्यादा है.
बॉन्ड मार्केट के प्रति आकर्षण बढ़ा
दूसरी तरफ बॉन्ड यील्ड में भी तेजी देखी जा रही है. इस सप्ताह 10 साल के बॉन्ड पर यील्ड बढ़कर 2 फीसदी के पार पहुंच गया था. हालांकि, शुक्रवार को अंतिम कारोबारी दिन यह 1.918 के स्तर पर बंद हुई. बढ़ती महंगाई ने बॉन्ड की कीमत को कम कर दिया है जिससे यील्ड बढ़ गया है. जब बॉन्ड की कीमत घटती है तो यील्ड बढ़ती है, जब बॉन्ड की कीमत बढ़ती है तो यील्ड घटती है. बॉन्ड यील्ड बढ़ने के कारण यह निवेशकों को ज्यादा आकर्षित करता है. यील्ड बढ़ने पर निवेशक शेयर बाजार से पैसा निकाल कर बॉन्ड मार्केट में निवेश करने लगते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि यह निवेश का सुरक्षित माध्यम है.
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