देश में बेरोजगारी, कर्ज, दिवालियापन के कारण हर साल बड़ी संख्या में लोग आत्महत्या कर रहे हैं. पिछले तीन साल के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. एनसीआरबी यानी राष्ट्रीय अपराध क्राइम ब्यूरो के आंकड़ों के आधार पर केंद्र सरकार ने संसद में जानकारी दी है. एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में बताया कि साल 2018, 2019 और 2020 के दौरान 25,000 से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की है. आत्महत्या के पीछे दिवालियापन, बेरोजगारी और कर्ज जैसे बड़े कारण सामने आए हैं. इन तीन वर्षों में सबसे ज्यादा खुदकुशी की घटनाएं 2020 में हुई हैं.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में बताया कि 2018 से 2020 तक बेरोजगारी, कर्ज आदि कारणों से कितने लोगों ने अपनी जान दी है. मंत्रालय ने NCRB के आंकड़ों का जिक्र करते हुए बताया कि भारत में साल 2018 में 2741, 2019 में 2851 और 2020 में 3548 लोगों ने बेरोजगारी की वजह से आत्महत्या की है.
देश में बेरोजगारी की वजह से देश में 9140 लोगों ने आत्महत्या की है. वहीं, इन 3 वर्षों के दौरान दिवालिया होने और कर्ज के चलते 16,091 लोगों ने आत्महत्या कर ली. यानी इन वजहों से 25 हजार से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की. गृह मंत्रालय ने यह जानकारी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के आधार पर दी है.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि कर्ज के चलते और दिवालिया होने की वजह से साल 2018 में 4970, साल 2019 में 5908 और 2020 में 5213 लोगों ने आत्महत्या की है. यह आंकड़ा ऐसे समय में सामने आया है, जब उत्तर प्रदेश समेत देश के 5 राज्यों में चुनावी माहौल है. संसद के बजट सत्र के दौरान सरकार ने यह जानकारी दी है.
बता दे कि बेरोजगारी देश में बड़ी समस्या रही है. सरकार इस समस्या से बेहतरी से निपटने का दावा करती है, वहीं विपक्षी पार्टियां बेरोजगारी को बड़ा मुद्दा बनाती रही हैं. बजट को लेकर भी विपक्षी पार्टियों के सांसद आरोप लगाते रहे हैं कि कोविड के दौर में पैदा हुए हालातों और रोजगार संकट से निपटने के लिए सरकार के प्रयास नाकाफी रहे हैं.
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