ओड़िशा (Odisha) के पुरी शहर में भगवान जगन्नाथ का बहुत बड़ा मन्दिर स्थित है. कहा जाता है कि इस शहर का नाम जगन्नाथ पुरी के नाम से ही पुरी पड़ा है. इस शहर में प्रत्येक साल रथ यात्रा उत्सव का आयोजन किया जाता है. कुल मिलाकर भगवान जगन्नाथ ओडिशा के आराध्य हैं, लेकिन भगवान जगन्नाथ का संबंध उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) से भी है. चौंकिए मत असली चमत्कार पर आगे चर्चा होनी है. उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थित बेहटा में भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) का जो मंदिर स्थित है, वह अपने चमत्कारिक स्वरूप के लिए प्रसिद्ध है. यूपी के इस मंदिर को मौसम मंदिर भी कहा जाता है. इसका कारण यह है कि मंदिर के गर्भगृह में लगा चमत्कारी पत्थर मानसून की भविष्यवाणी करता है.
मानसून आने से पहले पत्थर से टपकने लगता है पानी, बाकी साल भर सूखा रहता है
उत्तर प्रदेश के इस रहस्यमयी मंदिर चमत्कार की बात करें तो कहा जाता है कि मंदिर के गर्भगृह में लगा पत्थर मौसम विभाग से सटीक भविष्यवाणी करने में सक्षम है. मंदिर का पत्थर मानसून आने से कुछ दिन पहले ही टपकने लगता है. पत्थर से जिस अनुपात में पानी की बुंदे टपकती हैं, वह मानूसन में होने वाली बारिश की मात्रा का संकेत होती हैं. वहीं मानसून से पहले व बाद में यह पत्थर लगभग साढ़े 11 महीने तक सूखा रहता है. वहीं इस मंदिर के रहस्य पर वैज्ञानिकों ने भी शोध किया है, लेकिन आज तक इसका पता नहीं लग पाया है.
मंदिर की प्राचीनता का सटीकता अभी तक सामने नहीं आ पाई
भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर कानपुर मुख्यालय से तीन किलोमीटर दूर बेहटा गांव में स्थित है. मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलराम और बहन सुभद्रा के मूर्तियां स्थापित हैं. वह इस मंदिर की देखरेख पुरातत्व विभाग के अधीन है. यहां पर जिस तरह से उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर से रथ यात्रा निकलती है, उसी तरह की रथयात्रा यहां से भी निकाली जाती है. यह मंदिर काफी विशाल है. वहीं इसकी दिवाल भी 14 फीट मोटी हैं, लेकिन इस मंदिर की प्राचीनता की सटीक जानकारी अभी तक पता नहीं चल सकी है. कहा जाता है कि एक बार पुरात्व विभाग ने मंदिर की प्राचीनता का पता करने के लिए यहां मौजूद पत्थरों की कार्बन डेटिंग की थी, जिससे मंदिर की प्राचीनता लगभग 4 हजार साल पुरानी होने के दावे किए जाते हैं.
बौद्ध स्थापत्य कला का नमूना है यह मंदिर
कानपुर का भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर विशाल बौद्ध स्तूप जैसा प्रतीत होता है. वहीं इस मंदिर के अंदर भगवान जगन्नाथ जी की मुख्य प्रतिमा है. मूर्ति से मंदिर तक का निर्माण नागर शैली में हुआ है. इस मंदिर का ढंग से रखरखाव न होने के चलते यह मंदिर का कुछ हिस्सा जर्जर हो गया है. वहीं इस मंदिर में पूजा पाठ के लिए दूरदराज के इलाकों से भक्तों पहुंचते हैं.
किसानों का मददगार है यह मंदिर
भगवान जगन्नाथ के इस चमत्कारी मंदिर की महिमा का लाभ स्थानीय किसान खूब उठाते हैं. किसान मंदिर की भविष्यवाणी के आधार पर ही अपनी किसानी करते हैं. जैसे ही मंदिर मानसून की घोषणा करता है, उसकी अनुसार किसान फसल की बुवाई और कटाई का काम करते हैं.
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