हेल्थ इंश्योरेंस पर GST घटाने की तैयारी? पॉलिसी और प्रीमियम सस्ता कर सकती है सरकार

इंश्योरेंस पर जीएसटी (GST on Insurance) घटाने को लेकर सरकार विचार कर सकती है. उम्मीद जताई गई थी कि हालिया बजट (Budget 2022) में ही वित्त मंत्री इस पर कुछ बड़ा ऐलान करें, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. इससे इंश्योरेंस सेक्टर में मायूसी देखी जा रही है. इंश्योरेंस इंडस्ट्री लंबे दिनों से जीएसटी घटाने की मांग कर रही है. इस उद्योग का तर्क है कि कोरोना जैसी महामारी (Covid Pandemic) में इंश्योरेंस को सरकार की तरफ से छूट मिलनी चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोग इंश्योरेंस कवर में आएं और उन्हें बीमा का लाभ दिया जा सके. बीमा उद्योग का कहना है कि यह तभी हो पाएगा जब सरकार इंश्योरेंस सेक्टर में जीएसटी में छूट दे. अब सूत्रों से जानकारी मिली है कि सरकार इंश्योरेंस पर जीएसटी घटाने पर विचार कर सकती है. ऐसा संकेत रेवेन्यू सेक्रेटरी की ओर से दिया गया है. जीएसटी घटाने से इंश्योरेंस सेक्टर में मांग बढ़ेगी और अधिक से अधिक लोग बीमा का लाभ ले सकेंगे. माना जा रहा है कि इस साल जीएसटी फ्रेमवर्क में बदलाव हो सकता है.

सूत्रों से मिली जानकारी में कहा गया है कि इंश्योरेंस प्रोडक्ट और इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी घटाने को लेकर बड़ा फैसला हो सकता है. अभी इस पर जीएसटी 18 फीसदी लगता है. इंश्योरेंस सेक्टर ने इस दर को घटाने की मांग की है और कहा है कि दर घटने से इंश्योरेंस की मांग बढ़ेगी और लोगों को बीमा कवर का फायदा दिया जा सकेगा. इंश्योरेंस उद्योग ने कोविड महामारी का हवाला दिया है और कहा है कि ऐसी विकट परिस्थिति में इंश्योरेंस पर जीएसटी घटाया जाए ताकि बीमा का दायरा अधिक लोगों तक पहुंचाया जा सके.

क्या है सरकार की तैयारी

रेवेन्यू सेक्रेटरी तरुण बजाज ने कहा है कि सरकार इंश्योरेंस पर जीएसटी घटाने को लेकर कुछ फैसला कर सकती है. सरकार इस पर खुले मन से विचार करने के लिए तैयार है. दरअसल जीएसटी घटाने या बढ़ाने का फैसला जीएसटी काउंसिल की बैठक में होता है. जीएसटी काउंसिल में हर राज्य के प्रतिनिधि होते हैं. सभी राज्यों की सहमति के आधार पर ही जीएसटी घटाने पर बात बन सकती है. रेवेन्यू सेक्रेटरी ने कहा है कि सरकार की तरफ से जीएसटी काउंसिल में इस प्रस्ताव को रखा जा सकता है. अगर सभी राज्य सहमत होते हैं तो इंश्योरेंस पर जीएसटी की दर घटाई जा सकती है. माना जा रहा है कि इस साल जीएसटी फ्रेमवर्क में बदलाव हो सकता है.

स्वास्थ्य खर्च बढ़ने का खतरा

इंश्योरेंस सेक्टर की मांग पर रेवेन्यू सेक्रेटरी ने एक और अहम बात रखी है जिसका संदर्भ विदेशों में इंश्योरेंस को लेकर दिया गया है. तरुण बजाज कहते हैं कि विदेशों में अक्सर देखा जाता है कि वहां इंश्योरेंस पर जीएसटी कम रखा जाता है जिससे कि इलाज या स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़े खर्च बढ़ जाते हैं. सरकार इस संदर्भ को भी ध्यान में रखेगी और उसी आधार पर जीएसटी घटाने पर फैसला लेगी. ये सभी बातें जीएसटी काउंसिल के सामने रखी जाएंगी और उन पर विचार किया जाएगा. हाल के दिनों में स्वास्थ्य पर आम लोगों का खर्च बढ़ा है जिसे देखते हुए इंश्योरेंस पर जीएसटी घटाने की मांग की गई है.

इन कंपनियों ने उठाई मांग

कोविड महामारी के दौरान हुई मौतों को देखते हुए इंश्योरेंस कंपनियों ने पॉलिसी को महंगा कर दिया है. जीएसटी ज्यादा होने से आम आदमी पर इसका बोझ अधिक हो गया है. शायद ही कोई कंपनी है जिसने अपनी पॉलिसी की दरें न बढ़ाई हों. कई कंपनियों ने 20 परसेंट से अधिक रेट बढ़ाए हैं जिससे कि पहले की तुलना में पॉलिसी के प्रीमियम अधिक हो गए हैं. इसके साथ ही कंपनियों ने अलग-अलग शर्तें लगा दी हैं, जैसे तीन महीने का वेटिंग पीरियड है अगर कोई व्यक्ति कोरोना से पॉजिटिव रहा हो. ऐसे लोगों को मेडिकल सर्टिफिकेट या एक्सरे आदि की रिपोर्ट भी जमा करानी होगी. कंपनियों को डर है कि अगर बीमाधारक पॉलिसी लेते ही गुजर जाए तो कंपनियों को भारी घाटा झेलना पड़ सकता है.

एक तरफ कंपनियों ने पॉलिसी महंगी की है तो दूसरी ओर जीएसटी की दर 18 परसेंट से घटाकर 12 परसेंट करने की मांग की है. उनका कहना है कि इससे कंपनियों के साथ आम लोगों का खर्च भी घटाया जा सकेगा. हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर की बड़ी कंपनियां जैसे कि स्टार हेल्थ, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड, न्यू इंडिया एस्योरेंस, एचडीएफसी लाइफ और एसबीआई लाइफ जैसी कंपनियों ने जीएसटी घटाने की मांग की है. ये सभी कंपनियां हेल्थ इंश्योरेंस के क्षेत्र में काम करती हैं.

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