पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Election) 2022 अपने चरम पर है. सभी राजनीतिक दल 117 विधानसभा सीटों में से अधिकांश सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं. इसमें एक भोआ विधानसभा सीट (Bhoa Assembly Seat) भी है. यह विधानसभा क्षेत्र पंजाब का सीमावर्ती क्षेत्र है, एक तरफ जहां यह क्षेत्र पाकिस्तान (Pakistan) की सीमा से लगता है. तो वहीं दूसरी तरफ यह क्षेत्र जम्मू एंड कश्मीर से भी लगा हुआ है. ऐसे में भोआ विधानसभा क्षेत्र को बेहद ही संवेदनशील कहा जाता है. इस विधानसभा सीट के बीते दो दशक के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो इस पर बीजेपी का कब्जा हुआ करता था, लेकिन 2017 में कांग्रेस ने बीजेपी के वर्चस्व को तोड़ते हुए इस पर जीत दर्ज की थी.
भोआ विधानसभा पंजाब की सुरक्षित सीट, मतदाता आजिविका के लिए कृषि पर निर्भर
पंजाब राज्य के पठानकोट जिले स्थित भोआ में दलित मतदाताओं की आबादी अच्छी खासी है. यह विधानसभा सीट पंजाब की अन्य 34 विधानसभा सीटों के साथ सुरक्षित सीटों में शुमार है. जिसके तहत इस सीट पर सिर्फ अनुसुचित जाति के उम्मीदवार ही चुनाव लड़ सकते हैं. वहीं यह क्षेत्र कृषि बहुल है. जिसमें मतदाताओं की आजिविका का मुख्य स्त्रोत कृषि है. यहां पर उद्योग धंधे नहीं हैं. ऐसे में रोजगार के लिए मतदाताओं को पंजाब के दूसरे औद्योगिक जनपदों में जाना पड़ता है. वहीं यह क्षेत्र विकास के नजरिए से काफी पिछड़ा हुआ है.
इस सीट का चुनावी इतिहास
पठानकोट जनपद की भोआ विधानसभा सीट एक दलित बाहुल्य सीट है. विकास की दृष्टि से यह विधानसभा क्षेत्र पिछड़ा हुआ है. इस विधानसभा सीट पर समय-समय पर अलग-अलग दलों ने जीत दर्ज की है. बीते बीते दो दशक के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो इस सीट पर दस साल तक बीजेपी का कब्जा रहा. बीजेपी ने 2007 में इस सीट पर जीत दर्ज की थी. इस चुनाव में बीजेपी के विशंभर दास जीत दर्ज कर विधायक बने. वहीं 2012 में भी इस सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की, लेकिन इस चुनाव में बीजेपी ने सीमा कुमारी को मैदान में उतारा था, जिन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार को हराया. वहीं 2017 के चुनाव में कांग्रेस के जोगिंंदर पाल और बीजेपी की सीमा कुमारी के बीच मुकाबला हुआ. जिसमें जोगिंदर पाल ने 27,496 मतों के अंतर से जीत दर्ज की. 2022 में अब काग्रेस के सामने इस जीत को दोहराने की चुनौती है.
इस सीट का सामाजिक समीकरण
पंजाब के भोआ विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरण की बात करें तो यह क्षेत्र अभी भी विकास का इंतजार कर रहा है. वहीं सीमा से लगे होने की वजह से यह क्षेत्र बेहद ही संवेनशील है. इस क्षेत्र के जातिगत समीकरण की बात की जाए तो दलित बहुल मतदाता वाले इस क्षेत्र में तकरीबन 1,70,000 मतदाता पंजीकृत हैं. वहीं इस सीट पर भी अन्य विधानसभा क्षेत्रों की तुलना में मतदान का फीसद अच्छा रहता है.
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