पांच बार के पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) के नेता प्रकाश सिंह बादल (Prakash Singh Yadav) की तबीयत बिगड़ गई है, जिसके बाद उन्हें मुक्तसर से चंडीगढ़ पीजीआई शिफ्ट किया गया है. यहां उनका चेकअप किया जाएगा, जिसके बाद पता चलेगा कि आखिर उन्हें हुआ क्या है. लंबी विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार प्रकाश सिंह बादल हाल ही में कोरोना पॉजिटिव (Covid Positive) पाए गए थे, जिसके बाद उनका इलाज किया गया. कोरोना की चपेट में आने के बाद उन्हें लुधियाना के डीएमसी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बाद में उनकी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आ गई थी.
देश की दूसरी सबसे पुरानी पार्टी शिरोमणि अकाली दल के लिए पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 की राह आसान नहीं लग रही है. एक तरफ 2017 में चुनाव में कांग्रेस ने शिरोमणि अकाली दल से सत्ता छीनी थी, तो वहीं 2017 के चुनाव में ही आम आदमी पार्टी की दमदार मौजूदगी ने इस पार्टी को तीसरे स्थान पर पहुंच दिया था. अब इस चुनाव में यह दोनों राजनीतिक दल शिरोमणि अकाली दल के लिए मजबूत चुनौती तो बने हुए ही हैं. इसके साथ ही पार्टी के सामने इस चुनाव में संगठन, कार्यकर्ताओं का मनोबल व पार्टी की इमेज बचाने की चुनौती बनी हुई है.
94 साल की उम्र में भी विधानसभा सीट से भरा नामांकन
शिरोमणि अकाली दल और प्रकाश सिंह बादल लंबे समय से एक दूसरे के पूरक रहे हैं. देश-विदेश में दोनों की पहचान एक-दूसरे से हैं. जिसका कारण यह रहा है कि लंबे समय से प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व में शिरोमणि अकाली दल जीत दर्ज करने में सफल रहा है और प्रकाश सिंह बादल 5 बार राज्य के मुख्यमंत्री बने. प्रकाश सिंह बादल मौजूदा समय में 94 साल के हो गए हैं और उन्होंने इस चुनाव में भी 94 साल की उम्र में लंबी विधानसभा सीट से नामांकन भरा है. जो देश के सबसे उम्रदराज उम्मीदवार बन गए हैं, लेकिन इस चुनाव में उनकी उम्र उनकी सक्रियता में रोड़ा बनी हुई है.
1920 में गठित हुई थी शिरोमणि अकाली दल
शिरोमणि अकाली दल देश का दूसरा सबसे पूरा राजनीतिक दल है. कांग्रेस को देश का सबसे पुराना राजनीतिक दल कहा जाता है. इसके बाद शिरोमणि अकाली दल ही देश में सबसे पुराना राजनीतिक दल है. शिरोमणि अकाली दल का गठन दिसंबर 1920 को 14 शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, सिख धार्मिक शरीर के एक कार्य बल के रूप में किया गया था. शिरोमणि अकाली दल इस चुनाव में कई चुनौतियों का सामना कर रहा है. जिसमें भाजपा के साथ गठबंधन टूटना भी इस दल के लिए एक चुनौती की तरह है.
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