पंजाब के व‍िधायक स‍िमरजीत सिंह बैंस को सुप्रीम कोर्ट से राहत, एक हफ्ते के लिए बढ़ी ग‍िरफ्तारी पर लगी रोक

देश की सर्वोच्‍च अदालत सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कथित दुष्‍कर्म मामले में लोक इंसाफ पार्टी (Lok Insaaf Party) के नेता और विधायक सिमरजीत सिंह बैंस (Simaran Singh Bains) को एक हफ्ते तक गिरफ्तार नहीं करने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने विधायक बैंस की गिरफ्तारी पर लगी रोक को एक हफ्ते के लिए बढ़ा द‍िया है, साथ ही पंजाब सरकार से इस मामले में हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है. दरअसल इस मामले में पीड़िता ने सबसे पहले 16 नवंबर 2020 को विधायक सिमरजीत सिंह बैंस, कमलजीत सिंह, बलजिंदर कौर, जसबीर कौर उर्फ भाभी, सुखचैन सिंह, परमजीत सिंह उर्फ पम्मा और गोगी शर्मा के खिलाफ पुलिस कमिश्नर को शिकायत दी थी, लेकिन पुलिस ने पीड़िता की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की.

इस दौरान मामले को केवल जांच के नाम पर लटकाया गया. बलात्कार के मामले में उनके बैंस के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था. एक फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान बैंस की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि बैंस के खिलाफ लगाए गए दुष्कर्म के आरोप निराधार हैं और इसके खिलाफ एक याचिका हाईकोर्ट में लंबित है. इसके बाद कोर्ट ने मंगलवार को पंजाब पुलिस को निर्देश दिया कि वह लोक इंसाफ पार्टी के विधायक सिमरजीत सिंह बैंस को तीन फरवरी तक गिरफ्तार न करे.

23 फरवरी तक छूट देने का मन बना रही थी सुप्रीम कोर्ट

शुरू में शीर्ष अदालत विधायक को नामांकन पत्र दाखिल करने और चुनाव प्रचार के लिए 23 फरवरी तक छूट देने का मन बना रही थी, लेकिन बलात्कार पीड़िता के वकील ने इसका पुरजोर विरोध किया. पीड़िता के वकील द्वारा विरोध किए जाने से पहले प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा, ‘हम याचिका के गुण-दोष पर कुछ नहीं कह रहे. सुप्रीम कोर्ट इस मामले को देख रहा है, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आदेश जारी नहीं किया गया है. हम याचिकाकर्ता को केवल 23 फरवरी तक की अनुमति देते हैं. इसके बाद वह आत्मसमर्पण करेंगे और नियमित जमानत लेंगे.’

पीड़िता के वकील गगन गुप्ता ने किया ज्‍यादा परमिशन देने का विरोध

हालांकि पीड़िता के वकील गगन गुप्ता ने इसका पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि यह कोई राजनीतिक प्रतिशोध का मामला नहीं है, बल्कि बलात्कार की घटना के बारे में बहुत पहले ही एफआईआर दर्ज हो चुकी थी. उनकी इस दलील का न्यायालय ने संज्ञान लिया तथा बैंस की याचिका के साथ महिला की याचिका भी बृहस्पतिवार को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था और उस दिन तक विधायक की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी

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