“सत्ता के दलाल मत बनो…न्याय दो”, अलवर कलेक्टर के घर की दीवार पर लिखे गए स्लोगन

राजस्थान (Rajasthan) के अलवर जिले (Alwar) में तिजारा फाटक फ्लाई ओवर पर लहूलुहान मिली मूकबधिर नाबालिग मामले (alwar minor girl case) में 14 दिन बीत जाने के बाद भी अभी पुलिस रेप और दुर्घटनाओं की गुत्थी में उलझी हुई है. वहीं इस मामले में अभी तक पुलिस किसी को भी गिरफ्तार नहीं कर सकी है. इसके साथ ही पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग प्रदेश भर में लगातार उठ रही है. जहां सोमवार को पीड़ित नाबालिग के पिता (Alwar minor girl father) ने चुप्पी तोड़ते हुए पुलिस (Alwar police) और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए थे वहीं अब अलवर में कलेक्टर निवास की दीवारों पर न्याय की मांग के साथ प्रशासन के विरोध में स्लोगन दिखाई दे रहे हैं.

बताया जा रहा है कि कुछ अज्ञात लोगों ने कलेक्टर (alwar collector) के घर की दीवार पर लिखा है कि ‘सत्ता के दलाल मत बनो, प्लॉट नहीं न्याय दो’. वहीं पुलिस अब इस मामले में जांच कर रही है.

पीड़िता को न्याय के लिए चल रहे हैं विरोध प्रदर्शन

बता दें कि पीड़िता को न्याय दिलवाने के लिए संघर्ष समिति की ओर से कई जगह धरना और विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं. वहीं बीते सोमवार को पीड़िता के पिता पहली बार मीडिया के सामने आए और पुलिस की जांच पर नाराजगी जाहिर की. पीड़िता के पिता ने कहा कि हमें न्याय चाहिए और मेरी बेटी के साथ गलत काम हुआ है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि कलेक्टर हम पर चुप रहने का दबाव बना रहे हैं.

लड़की के पिता ने सोमवार को दावा किया कि दो लोगों ने लड़की को पुल पर फेंका था जहां वह 11 जनवरी को पुलिस को मिली. लड़की के पिता ने कहा कि “मेरी बेटी ने शुरूआत के 10-15 दिन तक हमें कुछ नहीं बताया लेकिन पिछले 4-5 दिनों से वह इशारों में बता रही है कि दो लोगों ने उसे पुल पर फेंकने की कोशिश की.

बता दें कि 15 वर्षीय नाबालिग लड़की जो मानसिक रूप से विक्षिप्त है और बोलने में भी अक्षम है उसके परिवार ने 11 जनवरी को अलवर में लापता होने की सूचना पुलिस को दी थी, इसके बाद अलवर पुलिस को रात करीब 8 बजे तिजारा पुलिया पर लड़की लहूलुहान अवस्था में मिली थी जिसके बाद उसे जयपुर के जेके लोन अस्पताल लाया गया जहां उसकी सर्जरी की गई थी. अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक लड़की अब स्थिर है.

पुलिस जांच पर नहीं है भरोसा : पीड़िता के पिता

लड़की के पिता ने आगे आरोप लगाते हुए बताया था कि जब पुलिस ने शुरू में इसे बलात्कार का मामला माना था और अपहरण, बलात्कार और पोक्सो अधिनियम की धाराओं के लिए आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज भी किया था और मेडिकल रिपोर्ट और तकनीकी सबूत भी इसी ओर संकेत कर रहे हैं तो पुलिस ने क्यों मामला बदल दिया.

वहीं एक मीडिया रिपोर्ट के हवाले से इस मामले में कहा गया है कि बालिका के पिता ने आरोप लगाया है कि बेटी की एफएसएल रिपोर्ट के बारे में उन्हें जानकारी नहीं दी गई है. वहीं पिता का कहना है कि उनके खून का भी सैंपल लिया गया है और किसी खाली कागज पर उनके हस्ताक्षर भी करवाए गए हैं.

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