समीर वानखेड़े के उत्पीड़न के दावों पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने महाराष्‍ट्र सरकार से मांगी रिपोर्ट, 7 मार्च को होगी अगली सुनवाई

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (National Commission for Scheduled Caste) ने महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों से पूर्व नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के अधिकारी समीर वानखेड द्वारा लगाए गए उत्पीड़न के दावों पर एक सप्‍ताह के भीतर रिपोर्ट भेजने के लिए कहा है. साथ ही आयोग ने वानखेड़े मामले में एससी-एसटी अधिनियम (SC ST atrocities act) जोड़ने के भी निर्देश दिए हैं. मामले की अगली सुनवाई 7 मार्च को होगी.

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) के उपाध्यक्ष अरुण हलदर ने कहा, “सोमवार को समीर वानखेड़े मुद्दे पर सुनवाई हुई. उन्‍होंने बताया कि इस मामले में आयोग की बैठक अध्यक्ष द्वारा की जानी थी, लेकिन चूंकि वह पंजाब से विधान सभा चुनाव लड़ रहे हैं, इसलिए इस मामले की जिम्मेदारी मुझे दी गई थी. महाराष्ट्र सरकार के संबंधित अधिकारी को सुनवाई में शामिल होने के लिए आने के लिए कहा गया था. अरुण हलदर ने कहा, हमने महाराष्‍ट्र सरकार से जो रिपोर्ट मांगी थी वे इसे ठीक से नहीं भेज सके. इसलिए अब इस मामले में हमने अगली सुनवाई के लिए 7 मार्च का दिन तय किया हुआ है.

7 दिन के भीतर राज्‍य सरकार से आयो ने मांगी रिपोर्ट

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) के उपाध्यक्ष अरुण हलदर ने आगे कहा, “महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले में जो सबसे बड़ी गलती की है, वह यह है कि शिकायत के आधार पर, उन्हें एससी/एसटी अत्याचार अधिनियम लागू करना चाहिए था, जो उन्होंने नहीं किया. यह एक बहुत बड़ी गलती है जो राज्‍य सरकार ने की है. उन्‍होंने कहा कि इसलिए 7 दिनों के भीतर समीर वानखेड़े द्वारा लगाए गए उत्पीड़न के दावों पर अत्याचार अधिनियम जोड़ने के बाद आयोग को रिपोर्ट भेजने के लिए कहा है. अन्यथा हम सख्त कार्रवाई करेंगे.

समीर वानखेड़े की शिकायत में नहीं लगाया गया एससी-एसटी अधिनियम

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य सुभाष रामनाथ पारधी ने कहा, ‘समीर वानखेड़े ने जो दस्तावेज पेश किए और जो दस्तावेज अधिकारियों ने पेश किए उनमें खामियों को दूर करने के लिए राज्‍य सरकार के अधिकारियों को आदेश दिए हैं. महाराष्ट्र सरकार की स्क्रूटनी कमेटी समीर वानखेड़े की जातिगत पहचान की जांच कर रही है, जो भी तथ्य सामने आएंगे वह जांच का विषय है, लेकिन मुख्य बात यह है कि अधिकारियों ने यह साबित नहीं किया है कि वह अनुसूचित जाति से हैं या नहीं. आज की तारीख में वह अनुसूचित जाति से है और समुदाय का एक व्यक्ति होने के नाते जब समीर वानखेड़े ने शिकायत दर्ज की तो एससी-एसटी अधिनियम लगाया जाना चाहिए था जो कि अधिकारियों द्वारा नहीं जोड़ा गया था. इसलिए आयोग ने एससी-एसटी एक्ट लागू करने के स्पष्ट आदेश दिए हैं और एक महीने के भीतर स्क्रूटनी कमेटी की रिपोर्ट एनसीएससी आयोग के समक्ष पेश करने के लिए कहा है.