दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने सोमवार, 24 जनवरी 2022 को, 30 अप्रैल के लिए एक जनहित याचिका (PIL) को सूचीबद्ध किया, जो सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के समक्ष अतिव्यापी मुद्दों की पेंडेंसी पर विचार करते हुए प्रधान मंत्री की सुरक्षा और सुरक्षा से संबंधित है. प्रधान न्यायाधीश डी.एन. पटेल (Chief Justice D.N. Patel) ने शुरू में कहा था कि वह केंद्र से उस जनहित याचिका पर विचार करने के लिए कहेंगे जिसमें सभी अथॉरिटी जिसमें नागरिक और सैन्य को प्रधानमंत्री और उनके परिवार के सदस्यों की सुरक्षा के मामले में विशेष सुरक्षा समूह (SPG) की देखरेख में कार्य करने की मांग की गई है.
याचिकाकर्ता आशीष कुमार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील वी गोविंदा रामनन ने कहा कि याचिका “कानून के सीमित बिंदु” पर थी कि एसपीजी को प्रधान मंत्री की सुरक्षा के संबंध में अधीक्षण की शक्ति होनी चाहिए. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि ऐसे देश में जहां दो प्रधानमंत्रियों की हत्या हुई है, इस तरह की सुरक्षा चूक राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है और जो आम नागरिकों के जीवन को भी खतरे में डालती है। याचिकाकर्ता आशीष कुमार ने वकील वी गोविंदा रामनन के जरिए दायर इस याचिका में पीएम मोदी के पंजाब दौरे के दौरान सुरक्षा में हुई चूक का जिक्र किया गया है.
मामले में नियुक्त समिति की रिपोर्ट का इंतजार
याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाल के पंजाब दौरे के दौरान सुरक्षा उल्लंघन की मीडिया में आई खबरों के मद्देनजर जनहित याचिका दायर की है. केंद्र सरकार के वकील अमित महाजन ने अदालत को सूचित किया कि सुप्रीम कोर्ट पहले से ही अतिव्यापी मुद्दों को जब्त कर चुका है. न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी और कहा कि शीर्ष अदालत ने निर्देश पारित कर दिया है और पहले से नियुक्त समिति की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है.
क्या है पूरा मामला?
पीएम मोदी पंजाब के फिरोजपुर पहुंचकर 42,750 करोड़ रुपये की विभिन्न परियोजनाओं की आधारशिला रखने वाले थे. इसके लिए उन्हें सड़क के रास्ते से राष्ट्रीय शहीद स्मारक ले जाया जा रहा था क्योंकि खराब मौसम के कारण हेलिकॉप्टर से जाना संभव नहीं था. लेकिन कार्यक्रम स्थल से कुछ दूरी पर किसानों ने प्रदर्शन करते हुए सड़क को ब्लॉक कर लिया, जिसके चलते प्रधानमंत्री का काफिला 15-20 मिनट तक फ्लाईओवर पर ही फंसा रहा. सड़क खाली नहीं होने की स्थिति में उन्हें अपनी रैली रद्द कर वापस लौटना पड़ा.
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