अमर जवान ज्योति के वॉर मेमोरियल में मिलाने से फैसले पर गदगद हुए सेना के पूर्व अधिकारी, जमकर की मोदी सरकार की तारीफ

लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त), पूर्व सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) भारतीय सेना, विनोद भाटिया ने शुक्रवार को अमर जवान ज्योति को युद्ध स्मारक स्मारक के साथ विलय करने के केंद्र के फैसले की सराहना की. उन्होंने कहा, ‘यह एक अच्छा निर्णय है.’ आज एक महान अवसर है, इंडिया गेट  (India Gate) पर अमर जवान (Amar jawan Jyoti) ज्योति को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National war memorial) के साथ विलय किया जा रहा है. अमर जवान ज्योति 1971 में 50 वर्षों के लिए हमारे सैनिकों का सम्मान करती है.

उन्होंने आगे कहा, हमारे पास एक राष्ट्रीय युद्ध स्मारक है जो भारत की रक्षा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले लगभग 25000 सैनिकों, नाविकों का सम्मान करता है. समय आ गया है कि अमर जवान ज्योति को इसके साथ विलय करने के लिए ट्रांसफर किया जाए.1971 के युद्ध के दिग्गज और पूर्व सेना उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जेबीएस यादव (सेवानिवृत्त) ने भी केंद्र के फैसले का समर्थन किया और कहा, ‘अमर जवान ज्योति को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के साथ मिला दिया जाना चाहिए.

‘अमर जवान ज्योति के विलय पर नहीं चाहिए राजनीति’

देश में केवल एक युद्ध स्मारक होना चाहिए. अमर जवान ज्योति और राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के विलय पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा, केंद्र द्वारा की गई हर पहल को राजनीतिक पहलू देने का चलन बन गया है.इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति ज्योति को आज राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में बुझाकर ज्योति में मिला दिया जाएगा. समारोह की अध्यक्षता एकीकृत रक्षा स्टाफ प्रमुख एयर मार्शल बलभद्र राधा कृष्ण करेंगे, जो दोनों लौ को मिला देंगे.इंडिया गेट स्मारक ब्रिटिश सरकार द्वारा 1914-1921 के बीच अपनी जान गंवाने वाले ब्रिटिश भारतीय सेना के सैनिकों की याद में बनाया गया था.

यह स्मारक इंडिया गेट के दूसरी तरफ केवल 400 मीटर की दूरी पर स्थित है. सरकारी सूत्रों का कहना है कि अमर जवान ज्योति को लेकर कई तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं. अमर जवान ज्योति की लौ बुझाई नहीं जा रही है बल्कि इसे राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की लौ के साथ मिलाया जाएगा. राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी 2019 को किया था. यहां 25,942 सैनिकों के नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखे गए हैं.

इंदिरा गांधी ने 1972 में किया था उद्घाटन

इस पर गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ शहीद जवानों के भी नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित हैं.अमर जवान ज्योति की स्थापना उन भारतीय सैनिकों की याद में की गई थी जो 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए थे. इस युद्ध में भारत की विजय हुई थी और बांग्लादेश का गठन हुआ था. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को अमर जवान जोत का उद्घाटन किया था.

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