कभी सोचा है यूपी, दिल्ली में ओले तो गिरते हैं मगर बर्फबारी क्यों नहीं होती? उसकी ये है वजह

सर्दी के मौसम की शुरुआत के साथ ही हिमाचल, जम्मू-कश्मीर के इलाकों में बर्फबारी (Snowfall) होने की खबरें आना भी शुरू हो जाती हैं. हर तरफ बर्फ की चादर बिछ जाती है. अगर आप पहाड़ी क्षेत्रों में नहीं रहते हैं तो आपको ये मनोरम दृश्य देखने का मन भी होता होगा. हो सकता है कि आप शायद बर्फबारी या स्नोफॉल देखने पहाड़ों (Snowfall On Mountains) पर गए भी हो. वहीं, लोगों को इच्छा होती है कि उनके शहर में भीभारी बर्फबारी   होनी चाहिए, मगर ऐसा होता नहीं है. लेकिन, कभी आपने सोचा है कि आपके शहर में बर्फ तो गिरती है, लेकिन वो बर्फबारी के रुप में नहीं, बल्कि ओलावृष्टि (Hailstrom) के रुप में गिरती है.

अब सवाल ये है कि बर्फ गिरती तो दोनों जगह है, लेकिन पहाड़ों वाली बर्फ अलग क्यों होती है और मैदानी इलाकों में बर्फबारी क्यों नहीं होती है. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि आखिर पहाड़ों पर ही बर्फ क्यों गिरती है और मैदानी इलाके स्नोफॉल से वंचित क्यों रहते हैं. तो आज जानते हैं बर्फबारी होने का पूरा विज्ञान, जिसके बाद आप समझ पाएंगे कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली में बर्फबारी क्यों नहीं होती है.

पहाड़ी इलाकों में ही बर्फबारी क्यों होती है, इसकी वजह जानने से पहले आपको बताते हैं कि बर्फबारी और ओलावृष्टि में क्या अंतर होता है. हम आपको कुछ पॉइंट्स के जरिए अंतर समझाने की कोशिश करते हैं.

– ये तो आप जानते हैं कि भाष्प के जरिए पानी ऊपर जाता है और फिर बादल बनते हैं. कई बार कम तापमान यानी ज्यादा ठंड होने की वजह से बादल में जमा पानी बर्फ बन जाता है और यहां से ही बर्फबारी और ओलावृष्टि की शुरुआत होती है. ओलावृष्टि में बर्फ गोलों के रूप में जमीन पर गिरती है और इन गोलों की साइज कम ज्यादा हो सकती है. लेकिन, जब भी ओलों के रूप में बर्फ गिरती है तो तूफान के साथ ही गिरती है और यह स्पीड से जमीन पर गिरती है यानी इसका तापमान से कोई लेना देना नहीं है. इसलिए, ओलों का आकार तूफान की तीव्रता पर निर्भर करता है.

वहीं, जब बर्फबारी होती है तो ये बर्फ के क्रिस्टल होते हैं, जबकि ओलावृष्टि बर्फ के गोले होते हैं. जब पानी की बूंदे दबती है तो तेज हवाओं के कारण ठंडी हो जाती है और इससे ओले बनते हैं. जल वाष्प के क्रिस्टलीकृत होने पर हिमखंड बनते हैं. बर्फबारी आमतौर पर निंबोस्ट्रैटस बादलों में बनते हैं और क्यूम्यलोनिम्बस बादलों में ओलावृष्टि होती है. आंधी या तूफान के दौरान ओलावृष्टि होती है जबकि तापमान गिरने पर बर्फबारी होती है.

– बर्फबारी होने वाले बादलों को निंबोस्ट्रैटस बादल कहते हैं और ये बादल पानी से भरे होंगे और अगर ये ठंडे होंगे तो पानी की जगह इन बादलों से बर्फ गिरेगी. ये बादल पहाड़ों पर ही होते हैं. साथ ही समुद्री तल से ज्यादा ऊंचाई होने की वजह से और काफी कम तापमान होने की वजह से यह बर्फबारी के रूप में बर्फ गिरती है. बता दें कि बर्फबारी भी कई तरह की होती है, जिसमें डेन्ड्राइट, कॉलम, हेक्सागोनल स्नोफ्लेक्स आदि शामिल है.

– वहीं, ओले बनने का विज्ञान ये है कि आकाश में पानी की बूंदों को एक साथ धकेलने वाली तेज हवाओं से हैलस्टोन बनते हैं. ये फ्रीज हो जाते हैं और बर्फ के गोले बनाते हैं. जब जमीन पर पानी की एक जमी हुई बूंद बनती है तो आमतौर पर एक हाइलस्टोन बनना शुरू हो जाता है. तेज हवा इसे ले जाती है और ठंडा पानी बूंदों को जम जाता है और इसकी सतह पर चिपक जाता है. इससे एक बड़े हाइलस्टोन का निर्माण शुरू होता. जब यह बहुत भारी हो जाता है, तो ओले जमीन पर गिर जाते हैं.

– मैदानी इलाकों में निंबोस्ट्रैटस बादल का निर्माण नहीं होता है और यहां जो ओलों के रूप में बर्फ गिरती है, वो तूफान की वजह से होती है. यह ज्यादा ठंड की वजह से बादल से गिरने वाली बर्फ नहीं होती है. इसी वजह से यहां बर्फबारी नहीं होती है और तूफान की दशा में ओले गिरते हैं.

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