राजस्थान 19 जनवरी (वेदांत समाचार)। (Rajasthan) के कोटा जिले (Kota District) में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां एक बेटे ने अपने पिता को मरा हुआ समझकर उनका अंतिम संस्कार (Funeral)कर दिया था. इतना ही नहीं अंतिम संस्कार को भी नौ दिन बीत चुके थे. नौ दिनों में जो भी धार्मिक रीति रिवाज होने थे वो भी पूरे कर लिए गए थे, लेकिन नौ दिन बाद बेटे को पता चला कि जिसका उसने अंतिम संस्कार किया वो उसके पिता नहीं थे. उसके पिता तो जिंदा है. इस बात की जानकारी लगते ही बेटे की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा. बेटा अपने पिता से मिला. बेटे को बाद में पता चला कि जिस शव को पिता का समझकर उसने अंतिम संस्कार किया था वह तो कोई और था. अब पुलिस के सामने भी बड़ा सवाल यह है कि जिसका अंतिम संस्कार किया गया था आखिर वो कौन था.
थानाधिकारी प्रहलाद सिंह ने बताया कि यह पूरा मामला बूंदी के तालेड़ा थाना इलाके के गुमानपुरा गांव निवासी बुजुर्ग नाथूलाल से जुड़ा है. नाथूलाल विमंदित हैं. नाथूलाल 8 जनवरी को घर से बिना बताये निकल गये थे. परिजनों ने उनको ढूंढा लेकिन कोई सुराग नहीं लग पाया. इस पर नाथूलाल के बेटे राजाराम ने पिता की गुमशुदगी तालेड़ा थाने में दर्ज करवाई. उसी दिन सदर थाना क्षेत्र में एक अज्ञात व्यक्ति का शव मिला था. राजाराम ने उस शव की पहचान अपने पिता के रूप में कर दी. इस पर पुलिस ने कानूनी कार्रवाई कर शव उसे सौंप दिया. राजराम ने विधि विधान से उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया.
सर्दी में नहर के पास ठिठुरते मिले नाथूलाल
नाथूलाल के परिजनों ने मौत के नौंवे दिन तक की सभी रस्म पूरी कर लीं थी. परिवार के लोगों ने बाल कटवा लिए थे. इस बीच नाथूलाल 110 किमी दूर कोटा के अयाना इलाके में पहुंच गए. अयाना थाना पुलिस को गश्त के दौरान विजयपुरा नहर के पास एक बुजुर्ग सर्दी से ठिठुरता हुआ मिला. पुलिस उसे थाने लेकर आई. पुलिस ने उसे खाना खिलाया और ओढ़ने के लिए गर्म कपड़े दिए. पूछताछ में बुजुर्ग ने थोड़ा बहुत अपने परिवार के बारे में बताया. उसके बाद अयाना पुलिस ने बूंदी के तालेड़ा थाने में संपर्क किया. तालेड़ा पुलिस ने बुजुर्ग के बेटे को बुलाकर उसकी बात करवाई तो पता चला कि वह नाथूलाल है.
पिता को जिंदा देख घर के लोग हुए खुश
फोन पर पिता की आवाज सुनकर बेटा भावुक हो गया. वह तालेड़ा पुलिस के साथ अयाना थाने पहुंचा. वहां पिता को जीवित देख बेटे की आंखें भर आईं. बेटे राजाराम ने पुलिस को धन्यवाद दिया और पिता को लेकर घर आ गया. घर पर नाथूलाल को देखकर परिजनों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा.
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