क्या आपको कोरोना हुआ है? तो जान लीजिए लाइफ इंश्योरेंस के बदले हुए नियम

अगर आपको हाल-फिलहाल में कोरोना हुआ है तो लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी (Life Insurance) खरीदने से पहले कम से कम 3 महीने तक इंतजार करना होगा. इंश्योरेंस कंपनियों ने बदलते हालात में वेटिंग पीरियड को 3 महीने कर दिया है. यह कोई नई बात नहीं है. बीमारी के अन्य मामलों में भी जब कोई मरीज ठीक होकर लौटता है तो हेल्थ इंश्योरेंस (Health insurance) या लाइफ इंश्योरेंस खरीदने के लिए 3 महीने तक का इंतजार करना पड़ता है. इस पीरियड के बाद इंश्योरेंस कंपनियां नुकसान की संभावनाओं के बारे में उचित मूल्यांकन करती हैं. वर्तमान में केवल लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने से पहले 3 महीने का वेटिंग पीरियड लागू है.

री-इंश्योरेंस कंपनियों ने इंश्योरेंस कंपनियों से कहा कि वे कोरोना प्रभावित मरीजों पर भी वेटिंग पीरियड का नियम लागू करें. कोरोना के कारण लाखों की संख्या में लोगों की मौत हुई है. ऐसे में क्लेम में काफी उछाल आया है. डेथ क्लेम में आई तेजी के कारण ही इंश्योरेंस कंपनियों ने अपनी पॉलिसी में बदलाव किया है. बता दें कि आपका इंश्योरेंस इंश्योरेंस कंपनियों की तरफ से किया जाता है. इसके बदले वे खुद को री-इंश्योरेंस कंपनियों से इंश्योर्ड करवाती है.

इंश्योरेंस कंपनियां करवाती हैं री-इंश्योरेंस

इंश्योरेंस ब्रोकर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया यानी IBAI के प्रेसिडेंट सुमित बोहरा का कहना है कि 10-20 लाख से ज्यादा का इंश्योरेंस कवर देने की क्षमता भारतीय कंपनियों में नहीं है. ऐसे में ज्यादातर इंश्योरेंस कंपनियां आपके इंश्योरेंस के बदले खुद का री-इंश्योरेंस करवाती हैं. अब री-इंश्योरेंस कंपनियां चाहती हैं को कोरोना मरीजों के लिए वेटिंग पीरियड को लागू किया जाए. ऐसे में इंडियन इंश्योरेंस कंपनियों के लिए इस नियम को लागू करना मजबूरी है.

इंश्योरेंस सेक्टर का कारोबार बदल गया है

Ageas Federal Life के प्रोडक्ट हेड कार्तिक रमन ने कहा कि टर्म इंश्योरेंस प्लान का दोबारा इंश्योरेंस करवाना पड़ता है. कोरोना काल में इंश्योरेंस कंपनियों के कारोबार में काफी इजाफा हुआ है. इसके साथ-साथ क्लेम के मामलों में भी काफी उछाल आया है जिसके कारण यह सेक्टर बदल गया है. गंभीर बीमारियों को लेकर वेटिंग पीरियड का प्रैक्टिस काफी पुराना है. इस प्रैक्टिस को पूरी दुनिया में अपनाया जाता है. कोरोना जितना खतरनाक है, उसके ध्यान में रखते हुए इसके लिए भी वेटिंग पीरियड लागू करने का फैसला किया गया है.

मोर्टालिटी रेट के आधार पर वेटिंग पीरियड का फैसला

इंडस्ट्री के लोगों का कहना है कि वेटिंग पीरियड का नियम मोर्टालिटी रेट के आधार पर तय किया जाता है. कोरोना कोई साधारण वायरस नहीं है. इस वायरस ने लाखों लोगों की जान ली है. इस बीमारी में मोर्टालिटी रेट लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में इंश्योरेंस कंपनियों की चिंता बढ़ गई है. अब उन्होंने वेटिंग पीरियड को लागू किया है. पिछले दो सालों में री-इंश्योरेंस कंपनियों का कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है.

LIC के री-इंश्योरेंस प्रीमियम में भारी उछाल

वित्त वर्ष 2020-21 में लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ने री-इंश्योरेंस प्रीमियम के रूप में 442 करोड़ रुपए जमा किया था. उससे पहले वित्त वर्ष 2019-20 में LIC ने केवल 327 करोड़ रुपए री-इंश्योरेंस कंपनियों को प्रीमियम के रूप में जमा किया था. 2020-21 में प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनियों ने मिलकर कुल 3909 करोड़ रुपए जमा किए थे, जबकि उससे पिछले वित्त वर्ष में उन्होंने 3074 करोड़ रुपए री- इंश्योरेंस कंपनियों को जमा किया था.

[metaslider id="122584"]
[metaslider id="347522"]