नई दिल्ली 13जनवरी (वेदांत समाचार)। केंद्र की मोदी सरकार ओबीसी आरक्षण के लिए क्रीमीलेयर की सीमा को आठ लाख से बढ़ाकर 12 लाख करने की तैयारी में है। इसके अलावा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय इस बात पर भी विचार कर रही है कि सालाना इनकम में सैलरी और खेती से हुई कमाई को भी शामिल किया जाए या नहीं। फिलहाल सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 फीसदी का आरक्षण है। फिलहाल इस आरक्षण के लिए आठ लाख तक की सालाना आय की सीमा तय की गई है। इससे अधिक सालाना कमाई वाले लोगों को आरक्षण नहीं मिलता है।
पांच राज्यों के चुनाव से पहले केंद्र सरकार की यह पहल खासी महत्वपूर्ण हो सकती है। इससे संबंधित एक कमेटी की सिफारिशें गृह मंत्रालय के पास एक साल से लंबित हैं।मंत्रालय के मुताबिक, त्रिवार्षिक समीक्षा बैठक में इस मुद्दे पर कैबिनेट नोट भी तैयार हुआ था, लेकिन उसे वापस ले लिया गया। अब उस पर पुनर्विचार किया जा रहा है।
मंत्रालय यह भी आकलन कर रहा है कि गणना की जाने वाली सालाना आय में कृषि से होने वाली आय को शामिल किया जाए या नहीं। आर्थिक वर्गीकरण आमतौर पर तीन साल के बाद होता है।
2017 में एनडीए सरकार ने आयसीमा को छह लाख से बढ़ाकर आठ लाख किया था। इससे पूर्व 2013 में यूपीए सरकार ने इसे 4.5 लाख से बढ़ाकर छह लाख किया था। 2020 की समीक्षा से पहले मंत्रालय ने सेवानिवृत्त सचिव बीपी शर्मा की अगुवाई में समिति बनाई थी। कमेटी का काम था, सकल वार्षिक आय सीमा की समीक्षा और क्रीमी लेयर कसौटी तय करने के लिए मानदंडों पर फिर से विचार करना।
[metaslider id="347522"]