राज्यपाल इंदिरा कला-संगीत विवि के नवगठित रंगमण्डल के उद्घाटन समारोह में हुई शामिल

राजनांदगांव 11 जनवरी (वेदांत समाचार)। राज्यपाल अनुसुईया उईके ने कहा कि कलाकारों के बीच जाकर जीवन का अलग नजरिया सामने आता है और एक अलग तरह की अनुभूति होती है। संगीत एवं कला जीवन का महत्वपूर्ण पहलू है। जिसके बिना जीवन नीरस हो जाता है। प्रकृति का स्वयं भी एक संगीत है और प्राकृतिक रूप से भी हमें कला के विविध आयाम नजर आते हैं। कलाकार बहुत संवेदनशील और भावुक होते हैं किन्तु कलाकारों को स्वयं को व्यवसायिक रूप से स्थापित करने के लिए अपनी कला में निपुण होना होता है। रंगमंच अभिव्यक्ति के सबसे प्राचीनतम माध्यम में से एक है। रंगमंच अपनी बात समाज तक पहुंचाने का सशक्त माध्यम है। रंगमंच जहां एक ओर आनंद, उत्साह है, वहीं दूसरी ओर लोकशिक्षण भी है। नाट्य विभाग की यह पहल कला से संबंधित देश के अन्य विश्वविद्यालय के विभागों के लिए अनुपम उदाहरण बनेगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में सभी विद्यार्थी श्रेष्ठम कलाकार बनने आए हैं। नाट्य विभाग का रंगमंडल वर्तमान और भूतपूर्व विद्यार्थी और कलाकारों को एक नवाचार मंच उपलब्ध करायेगा। साथ ही छत्तीसगढ़ी भाषा के रंगमंच को भी एक नई दिशा मिलेगा। छत्तीसगढ़ के रंगमंच में एक नया अध्याय जोडऩे में सहायक होगा। राज्यपाल एवं कुलाधिपति अनुसुईया उईके ने इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के थियेटर विभाग के नवगठित रंगमण्डल के उद्घाटन समारोह के अवसर पर उद्गार व्यक्त करते हुए कही। इस दौरान उन्होंने रंगमण्डल के औपचारिक गठन की घोषणा की।


राज्यपाल अनुसुईया उईके ने कहा कि आचार्य भरतमुनि ने भी नाटक की महत्ता को प्रतिपादित करते हुए कहा है कि नाटक वेद से लिया गया हो या आध्यात्म से वह तभी सिद्ध होगा जब लोक सिद्ध होगा अर्थात नाटक को समाज की स्वीकृति प्राप्त होगी। छत्तीसगढ़ कला की दृष्टि से सदैव समृद्ध रहा है। यहां शास्त्रीय शैली, लोक शैली या आधुनिक रंगमंच सभी का समावेश रहा है। हबीब तनवीर, डॉ. सचदेव दुबे, डॉ. शंकर दुबे, प्रभु खरे, दीपक तिवारी, प्रिंस सायमन जैसे अनेक रंगकर्मियों ने छत्तीसगढ़ के रंगमंच को दुनिया में विशेष पहचान दिलाई। इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के नाट्य विभाग के इस दिशा में सराहनीय कार्य किया जा रहा है। नई शिक्षा नीति 2020 में कलात्मक अभिव्यक्ति के साथ-साथ कौशल विकास को प्राथमिकता दी है। उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि नाट्य विभाग के भारत के विश्वविद्यालय संरचना में पहली बार एक रंगमंडल का गठन किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत नाट्य प्रस्तुतियों के माध्यम से विद्यार्थियों को कौशल विकास व्यवसायिकता की ओर अग्रसर करते हुए उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कुलपति पद्मश्री ममता चंद्राकर को बधाई देते हुए कहा कि कला एवं कलाकारों की दिशा में नवाचार करते हुए साहसिक कदम उठाया है।


राज्यपाल अनुसुईया उईके ने कोरोना के बढ़ते संक्रमण को ध्यान में रखते हुए शासन के जारी कोविड गाईडलाईन का पालन करने कहा है। सोशल डिस्टेसिंग का पालन करें, मास्क लगाएं, टीकाकरण कराएं। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण से डरने की जरूरत नहीं है। जिन्होंने टीका लगा लिया है वे संक्रमित होने पर भी गंभीर स्थिति से बचे रहेंगे। सावधानी जरूरी है साथ ही अन्य नागरिकों को प्रोटोकॉल का पालन करने और टीकाकरण के लिए प्रेरित करें।


कुलपति पद्मश्री ममता चंद्राकर ने कहा कि इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय कलाओं के लिए जाना जाता है। कला की शिक्षा-दीक्षा यहां होती हैं। हमें पहचान भी हमारी कलाओं के माध्यम से मिलती है। हम प्रदर्शनकारी कला के अंतर्गत आते है। यहां देश-विदेश से कला के विद्यार्थी अध्ययन करने, सीखने और समझने आते हैं। उन्होंने कहा कि थियेटर विभाग के प्रस्ताव आने के बाद खुशी हुई कि अध्ययन, अध्यापन के साथ एक नवाचार जोडऩे का प्रयास किया जा रहा है। नई शिक्षा नीति में कौशल विकास के साथ-साथ उन्हें आत्मनिर्भर बनाए जाए और इसी भावनाओं को लेते हुए रंगमण्डल का गठन किया जा रहा है। इसके माध्यम से भूतपूर्व और वर्तमान विद्यार्थियों को रंगमंडल के माध्यम से कला को जगह-जगह पहुंचाने की व्यवस्था होगी। उन्होंने कहा कि यह रंगमण्डल पूरे देश में परचम लहराए।


रंगमण्डल उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों ने भरतनाट्ययम विभाग के अरपा पैरी के धार गीत पर नृत्य प्रस्तुति और नवगठित रंगमण्डल द्वारा मुंशी प्रेमचंद लिखित नाटक बड़े भाई साहब का मंचन किया गया। इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह, अपर कलेक्टर सीएल मारकण्डेय, कुल सचिव प्रोफेसर इंद्रदेव तिवारी, प्रोफेसर मंजुलाल शुक्ला, डॉ. योगेन्द्र चौबे, पूर्व कुलपति मांडवी सिंह सहित विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, अधिकारी-कर्मचारी, छात्र-छात्राएं एवं नागरिकगण उपस्थित थे।

[metaslider id="122584"]
[metaslider id="347522"]