मकर संक्रांति पर इसलिए खाई जाती है ‘खिचड़ी’, गुरु गोरखनाथ ने दिया था ये नाम, जानें धार्मिक महत्व

हर साल जब सूर्य देवता धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते है, उसी दिन मकर संक्रांति पर्व मनाया जाता है। मकर संक्रांति पर्व हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। साल 2022 की बात करें तो मकर संक्रांति 14 जनवरी शुक्रवार को मनाई जाएगी। मकर संक्रांति पर्व पर पवित्र नदियों में स्नान और दान का विशेष दिन होता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन गुड़, घी, नमक और तिल के अलावा काली उड़द की दाल और चावल का दान करना चाहिए।

इसलिए खाई जाती है मकर संक्रांति पर खिचड़ी

मकर संक्रांति के दिन उड़द की दाल की खिचड़ी खाई जाती है। कई लोग खिचड़ी के स्टॉल बांटकर पुण्य कमाते हैं। देश के कुछ इलाके ऐसे भी है, जहां मकर संक्रांति त्योहार को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने से सूर्य देव और शनि देव दोनों की कृपा प्राप्त होती है।

मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने का महत्वऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने की प्रथा बाबा गोरखनाथ के समय से ही शुरू हो गई थी। देश में जब खिलजी ने आक्रमण किया तो नाथ योगियों को युद्ध के दौरान भोजन तैयार करने का समय नहीं मिलता था और वे भूखे-प्यासे युद्ध के लिए निकल जाते थे। उस समय बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जियां एक साथ पकाने की सलाह दी थी। यह खाना जल्दी तैयार हो जाता था और योगियों का पेट भी भर जाता था और साथ में काफी पौष्टिक भी होता था।

बाबा गोरखनाथ का दिया हुआ नाम है ‘खिचड़ी ‘तत्काल तैयार किए जाने वाले इस व्यंजन का नाम खिचड़ी बाबा गोरखनाथ ने रखा था। खिलजी से मुक्त होने के बाद योगियों ने जब मकर संक्रांति पर्व मनाया था तो उस दिन सभी को खिचड़ी का ही वितरण किया गया था। तभी से मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने की प्रथा शुरू हो गई। गोरखपुर में स्थित बाबा गोरखनाथ मंदिर में मकर संक्रांति के अवसर पर खिचड़ी मेले का आयोजन हर साल होता है और प्रसाद के रूप में खिचड़ी ही बांटी जाती है।

खिचड़ी का धार्मिक महत्व मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर मिलने जाते हैं। ज्योतिष में उड़द की दाल को शनि से संबंधित माना गया है। ऐसे में उड़द की दाल की खिचड़ी खाने से शनि देव और सूर्यदेव दोनों प्रसन्न होते हैं। चावल को चंद्रमा, शुक्र को नमक, बृहस्पति को हल्दी, बुध को हरी सब्जी का कारक माना गया है। वहीं खिचड़ी की गर्मी से इसका संबंध मंगल से है। मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने से कुंडली में लगभग सभी ग्रहों की स्थिति में सुधार होता है।

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