अगर आप ऑनलाइन खाना मंगाने और इस तरह के ऑर्डर के शौकीन हैं तो आपके लिए थोड़ा झटके वाली खबर है. दरअसल, नए साल की पहली तारीख से इस तरह के ऑर्डर महंगे होने जा रहे हैं. इसकी वजह जीएसटी है. सामान और सेवा पर लगने वाला यह टैक्स ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनियों पर दबाव बढ़ा रहा है. इस दबाव को कम करने के लिए कंपनियां ग्राहकों से भरपाई करेंगी. ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनियों को अब बने-बनाए खाने पर 5 परसेंट का जीएसटी देना होगा. इसे देखते हुए कंपनियां इसकी भरपाई अपने ग्राहकों से करेंगी.
ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनियों में स्विगी और जोमैटो का नाम सबसे ऊपर है. यही कंपनियां लोगों के घर-घर खाना पहुंचाती हैं. पहले इन कंपनियों को जीएसटी नहीं देना होता था. लेकिन नए साल से नया नियम लागू हो गया है. इससे ऑनलाइन खाना मंगाना महंगा हो सकता है. हालांकि कंपनियों की तरफ से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.
है जीएसटी का नया नियम
सरकार ने इस तरह के टैक्स के लिए सीजीएसटी एक्ट, 2017 के सेक्शन 9(5) में रेस्टोरेंट सर्विस नामक नया शब्द अधिसूचित किया है. एक सर्कुलर में कहा गया है कि सीजीएसटी के नए सेक्शन और रेस्टोरेंट सर्विस का प्रावधान जुड़ने से ई-कॉमर्स ऑपरेटर इसके दायरे में आएंगे. नया नियम 1 जनवरी, 2022 से लागू हो गया. नियम कहता है कि ई-कॉमर्स कंपनियों को रेस्टोरेंट सर्विस पर जीएसटी देना होगा, यहां तक कि कोई बिना रजिस्ट्रेशन वाला व्यक्ति या कंपनी सेवा देते हैं तो उनका भी जीएसटी लगेगा. स्विगी और जोमैटो जैसी कंपनियां रेस्टोरेंट या कोई घर में खाना बना रहा हो तो उससे पका खाना लेकर ऑनलाइन सप्लाई करती हैं.
होटल-रेस्टोरेंट देंगे टैक्स
नए नियम के तहत अब ऑनलाइन फूड सर्विस कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म से जुड़े सभी रेस्टोरेंट और होटल से जीएसटी जुटाने और उसे जमा करने के लिए उत्तरदायी होंगी. इसका अर्थ हुआ कि जोमैटो और स्विगी जैसी कंपनियां अब हर ऑर्डर पर अतिरिक्त 5 परसेंट जीएसटी जोड़ेंगी. ध्यान रखें कि ऐसी कंपनियां पहले से 18 परसेंट जीएसटी वसूलती थीं. अब इसमें अतिरिक्त 5 परसेंट और जुड़ जाएगा.
साधारण शब्दों में जानें तो अब छोटे रेस्टोरेंट या होटल, या घरों से खाना बनाकर ऑनलाइन बेचने वालों को जोमैटो और स्विगी के हर ऑर्डर पर अलग से 5 परसेंट जीएसटी देना होगा. कंपनियां चाहें तो इस बढ़े टैक्स का बोझ ग्राहकों पर कम करने के लिए कूपन या अन्य तरह की छूट की सुविधा दे सकती हैं.
ओला कार सर्विस भी महंगी
5 परसेंट जीएसटी का नियम राइड-शेयरिंग प्लेटफॉर्म पर लागू किया गया है. अब वैसा कोई भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जो लोगों को शेयरिंग में राइड कराता है, जैसे कार से, तो उसे 5 परसेंट जीएसटी देना होगा. यह नियम सभी मोटर व्हीकल पर लागू हो गया है. यह नया नियम 1 जनवरी से लागू हो चला है. हालांकि इसमें बाइक और ऑटो बुकिंग को अलग रखा गया है.
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