गवाहों के खुलासे के बाद सीएम योगी ने कांग्रेस पर बोला हमला, कहा- हिंदुओं के खिलाफ किए झूठे केस, माफी मांगें..

सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने फर्रूखाबाद (farrukhabad) में जन विश्वास यात्रा (Jan Vishwas Yatra) के दौरान मालेगांव ब्लास्ट (Malegaon Blast) का मुद्दा उठाया. ब्लास्ट के गवाहों के खुलासे के बाद सीएम योगी ने कांग्रेस पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि कि कांग्रेस (Congress) के राज में हिंदूओं पर झुठे केस दर्ज हुए. इसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए.

मालेगांव ब्लास्ट के गवाह ने सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र एटीएम पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसपर सीएम योगी के नाम लेने का दबाव बनाया गया था. साल 2008 में मालेगांव में हुए विस्फोट मामले में इस गवाह ने अपने बयान में कहा कि उसे बीजेपी और आरएसएस नेताओं का नाम लेने के लिए दबाव और धमकी दी गई थी. गवाह ने अपने बयान में कहा कि उस समय के तत्कालीन एटीएमस अधिकारी परमबीर सिंह और अन्य अफसरों ने उन्हें यूपी के मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ और आऱएसएस नेता इंद्रेश कुमार समेत चार नेताओं के नाम लेने की लिए धमकी दी गई थी.

कांग्रेस पर साधा निशाना

गवाह का बयान सामने आने के बाद अब आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने भी कांग्रेस पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के समय भगवा आतंकवाद के झूठे मामले में फंसाने के लिए साजिश रची गई थी. आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने एक मीडिया वेबसाइट से कहा कि मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, दिग्विजय सिंह, सुशील शिंदे , राहुल गांधी ने मिलकर एक सोची समझ साजिश रची थी. उन्होंने आरोप लगाया कि जांच एजेंसियों का गलत उपयोग कर आरोप बनाने की साजिश की गई. उस समय एफआईआर में मेरा या योगी आदित्यनाथ का नाम नहीं था. आज राहुल गांधी खुद को हिंदू बता रहे हैं, जबकि उस वक्त हिंदू को आतंकवाद कहा गया था.

परमबीर सिंह पर दबाव बनाने का आरोप

परमबीर सिंह पर उस गवाह ने नाम लेने के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया है. परमबीर को इसी महीने पुलिस सेवा से निलंबित किया जा चुका है. 100 करोड़ वसूली केस और अन्य मामलों में उनकी संलिप्ता को लेकर ये कार्रवाई की गई थी. साल 2008 में मुंबई से करीब 200 किलोमीटर दूर मालेगांव में एक मस्जिद के पार धमाका हुआ था. इस धमाके में 6 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 100 से ज्यादा लोग बुरी तरह घायल हो गए थे. जांच में सामने आया था कि धमाका मस्जिद के पास ही में रखे मोटसाइकिल के जरिए किया गया था. शुरुआत में इसकी जांच महाराष्ट्र एटीएस कर रही थी. इसके बाद एनआईए ने जांच का जिम्मा संभाला लिया था. उस वक्त परमबीर सिंह एटीएस में ही थे.