छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजित धर्मसंसद 2021 में संत कालीचरण ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को लेकर विवादित बयान दिया था. इसको लेकर उठे विवाद में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी कूद पड़े हैं. वहीं, ओवैसी ने सोशल मीडिया पर धर्म संसद को ‘नर संहारी सम्मेलन’ बताते हुए कांग्रेस को इन सबके लिए जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में गांधी के खिलाफ कही गई बातों का विरोध हुआ. इसमें FIR भी दर्ज की गई है, मगर मुसलमानों के खिलाफ जो कुछ कहा गया उसकी अनदेखी की गई है.
दरअसल, मिडिया रिपोर्टस के अनुसार बीते दिनों हुए धर्म संसद में कही गई बात को लेकर असदुद्दीन ओवैसी ने लिखा, रायपुर के ‘नर संहारी सम्मेलन’ में कालीचरण ने गांधी जी को गाली दी और गोडसे की तारीफ की. इस बात पर आपत्ति जताते हुए संत राम सुंदर रूठ कर सम्मेलन से बाहर चले गए. वहीं, राम सुंदर छत्तीसगढ़ गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष हैं और इनका कैबिनेट रैंक है. फिलहाल ये धर्म संसद के मुख्य संरक्षक थे. वहीं, ये सम्मेलन कांग्रेस पार्टी के बिना परमिशन के करना मुमकिन ही नहीं था. इस दौरान उन्होंने कहा कि राम सुंदर के संरक्षण में ना सिर्फ महात्मा गांधी को गाली दी गई, बल्कि ये भी कहा गया कि इस्लाम का मकसद देश पर कब्जा करना है.
क्यों वहां पर बैठे लोगों को कालीचरण का बयान आपत्तिजनक नहीं लगा?- ओवैसी
बता दें कि संत कालीचऱण द्वारा की गई टिप्पणी पर ओवैसी ने कहा कि कालीचरण चाहते हैं कि सांसद, विधायक, मंत्री-प्रधानमंत्री ऐसा होना चाहिए जो कट्टर हिंदुत्ववादी हो. ऐसे में लोगों के वोट न देने की वजह से देश में इस्लाम हावी होगा, उन्होंने लोगों को ज्यादा से ज्यादा वोट देना चाहिए और ऐसा राजा चुनना चाहिए जो कट्टर हिंदुत्ववादी हो, चाहे राजनीतिक पार्टी कोई भी हो. वहीं, क्या राम सुंदर को ये बयान आपत्तिजनक नहीं लगा? जब कालीचऱण बयान दे रहा था तो उस दौरान कार्यक्रम स्थल पर दर्शकों के बीच कांग्रेस नेता प्रमोद दुबे, बीजेपी नेता सच्चिदानंद उपासने और नंद कुमार साय भी मौजूद थे. हालांकि वहां पर किसी ने अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी.
वहीं, जब कार्यक्रम स्थल पर दोनों हाथ जोड़कर कालीचरण ने नमस्कार किया तो भीड़ नारे लगाकर तालियां बजाने लगीं, लेकिन राम सुंदर के भाषण को ऐसा समर्थन नहीं मिला. इससे वहां मौजूद लोगों की मानसिकता साफ समझ में आती है. वहीं, कांग्रेस के कैबिनेट मिनिस्टर रैंक के नेता के संरक्षण में हिंदू राष्ट्र, मुसलमानों के नर संहार, लव जिहाद की बातें हुईं. ऐसे में FIR सिर्फ गांधी जी वाले बयान पर दर्ज हुई. क्या नर संहार की बात सोचने वाली नहीं है.
कांग्रेसियों ने ऐसे सम्मेलन में क्यों लिया हिस्सा
इस दौरान असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, सवाल सिर्फ गिरफ्तारी का नहीं है. ऐसे सम्मेलनों में कांग्रेस ने हिस्सा क्यों लिया. बीते 25 दिसंबर को कलश यात्रा के दौरान कांग्रेस MLA विकास उपाध्याय, कांग्रेस के प्रमोद दुबे (रायपुर नगर निगम के सभापति) ने शिरकत की. इस दौरान बीजेपी के पूर्व CM रमन सिंह भी मौजूद थे. वहीं, जो भी बयानबाजी हुई सब कुछ कांग्रेस के नेता के संरक्षण में हुआ, संतों का कहना था कि बिना हिंदू राष्ट्र बने देश का कल्याण नहीं हो सकता. हालांकि ये साफ है कि बीजेपी औऱ कांग्रेस दोनों ने उग्रवादियों की सहायता की.
कवर्धा में धार्मिक झंडे को लेकर हुए बवाल का RSS ने उठाया फायदा
गौरतलब है कि AIMIM नेता ओवैसी ने बताया कि कवर्धा जिले में बीते महीने हुए धार्मिक झंडे को लेकर बवाल मच गया था. वहीं, RSS ने इसका फायदा उठाया और कांग्रेस ने बीजेपी को कांटे की टक्कर दी. बीते 6 दिसंबर को संघ परिवार ने हिंदू शौर्य जागरण संकल्प महासभा किया. इस दौरान कांग्रेस सरकार ने खातिरदारी में कोई कसर नहीं छोड़ी. वहां 80 हजार लोगों की भीड़ इकट्ठा होने में मदद की. जिसके चलते 10 दिसंबर को एक और प्रदर्शन हुआ. इसमें 108 फीट ऊंचे खंभे पर भगवा झंडा फहराया गया. इस पर ओवैसी ने कहा कि बघेल जी उत्तर प्रदेश में धरना दे सकते हैं, लेकिन धर्म के नाम पर उनके अपने प्रदेश में क्या हो रहा है? इस बात का इनसे कोई सरोकार नहीं है.
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