PM मोदी के काफिले की गाड़ियों की कीमत पर अटकलों का मामला, सामने आई ये सच्चाई

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के काफिले में शामिल नई मर्सिडीज मेबैक एस 650  कार की कीमत को लेकर मीडिया और सोशल मीडिया में प्रकाशित हो रही खबरों पर बड़ा खुलासा हुआ है. दरअसल सरकारी सूत्रों के अनुसार PM मोदी के सुरक्षा काफिले में लगी गाड़ियों की कीमत उतनी नहीं है जितनी मीडिया में बताई जा रही है. 

सरकारी सूत्रों का कहना है कि मीडिया में जो कीमत बताई जा रही है उसकी तुलना में इस एक गाड़ी की कीमत करीब उसकी मात्र एक तिहाई ही है.

12 करोड़ की गाड़ी की उड़ी थी हवा

मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि पीएम के काफिले में शामिल नई मेबैक कार की कीमत 12 करोड़ रुपए प्रति कार है. जबकि सूत्रों के अनुसार उसकी कीमत उससे बहुत कम है. वैसे भी पीएम की सुरक्षा कैसी हो? किस गाड़ी में सबसे सुरक्षित रह सकते है पीएम? उन गाड़ियों में कौन कौन से उपकरण लगाए जाएं आदि काम पीएम की सुरक्षा करने वाली एजेंसी यानी  एसपीजी का है. 

एसपीजी तय करती है खरीद की प्रकिया

एसपीजी का नियम है कि जिस व्यक्ति की सुरक्षा की जा रही है उसकी सुरक्षा में लगे वाहनों को हर 6 साल में बदल दिया जाए. लेकिन जानकारी के अनुसार पीएम मोदी के सुरक्षा काफिले में लगी कारें, 8 साल से उपयोग में आ रही थीं. 

खतरे के आंकलन पर होता है फैसला

यहां तक कि ऑडिट करने पर इस मुद्दे को लेकर आपत्ति की गई थी.  तब यह कहा भी गया था कि इससे जिस व्यक्ति को सुरक्षा दी जा रही है,उसके जान की सुरक्षा से समझौता हो सकता है. इसलिये एसपीजी ने पीएम मोदी के काफिले में चल रही गाड़ियों को बदलने का फैसला लिया था.

जानकारी के अनुसार काफिले से जुड़े खरीद का फैसला, प्रोटेक्टी को खतरे के हिसाब से आंका जाता है. यह फैसला एसपीजी खुद करती है. इसमें उस व्यक्ति की राय नहीं ली जाती है जिसे सुरक्षा दी जा रही है. इसलिये नई गाड़ियों की खरीद में भी इस मामले में जो प्रोटेक्टी हैं यानी PM मोदी, उनकी राय नही ली गई है. यानी उनकी इस खरीद में कोई भूमिका नही है. 

‘PM की कार के सुरक्षा फीचर चर्चा देश हित में नहीं’

सूत्रों के मुताबिक नई कार अपग्रेड नहीं है. बल्कि रूटीन रिप्लेसमेंट है. दरअसल बीएमडब्ल्यू (BMW) ने उन कारों को बनाना बंद कर दिया है जो पहले काफिले का हिस्सा थीं. नई गाड़ियों की सुरक्षा फीचर के खुलासे की मांग किये जाने पर कहा गया कि पीएम की नई कार के सुरक्षा फीचर के बारे में सार्वजनिक रूप से चर्चा करना, राष्ट्रीय हित में नहीं है.  क्योंकि इससे अनावश्यक रूप से संवेदनशील जानकारी बाहर आती है. इससे उस व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है जिसकी सुरक्षा की जा रही है.

प्रधानमंत्री ने गाड़ी बदलने की डिमांड नहीं की थी: सूत्र

सूत्रों ने ये भी कहा है कि PM मोदी ने कभी नहीं कहा कि उनके सुरक्षा काफिले में कौन सी कार शामिल की जाए. जबकि UPA शासनकाल मे ठीक इसके विपरीत काम होता था. UPA काल में UPA चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने उन रेंज रोवर्स कारों का इस्तेमाल किया. जो तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लिए खरीदी गई थीं. 

अब मौजूदा पीएम को एसपीजी कवच

हालांकि अब एसपीजी कानून में बदलाव के बाद अब सिर्फ मौजूदा पीएम को ही एसपीजी की सुरक्षा है. और एसपीजी का पूरा फोकस अब पीएम की सुरक्षा को लेकर ही रहती है. और नई गाड़ियों की खरीद उसी का हिस्सा है.