किसान मोर्चे को झटका, चुनाव लड़ने की बात से इस संगठन ने किया किनारा, कहा- इससे कमजोर होगी किसानों की लड़ाई…

साल 2022 में पंजाब विधानसभा के चुनाव होने हैं. इन चुनावों में संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) से जुड़े करीब 25 संगठनों ने उतरने का फैसला किया है। साथ ही 7 यूनियन ऐसी भी हैं, जिन्होंने चुनावों से दूर रहने का फैसला किया है. इनमें से एक जय किसान आंदोलन (Jai Kisan Andolan) भी है. इस संगठन ने कहा है कि वह किसान संगठनों द्वारा एसकेएम के नाम से चुनावी मोर्चा गठन के विचार का समर्थक नहीं है और न ही किसी ऐसे प्रयोग का हिस्सा बनेगा।

इस संगठन के संयोजक गुरबख्श सिंह ने कहा, ”बेशक जय किसान आंदोलन पंजाब की 32 किसान जत्थेबंदियों का हिस्सा है। इनमें से कुछ किसान व्यक्तियों द्वारा चुनावी मोर्चा बनाने की चर्चा चल रही है। मगर जय किसान आंदोलन किसान संगठनों या व्यक्तियों द्वारा चुनावी मोर्चा बनाने का समर्थन नहीं करता. हमारी समझ है कि किसान संगठनों को अपनी एकता बनाए रखते हुए किसानों की मांगों के लिए संघर्ष की राह पर टिके रहना चाहिए। इसी रास्ते से किसान संगठन किसान हित में बड़ी भूमिका निभा पाएंगे.”

‘चुनाव में उतारना किसानों की लड़ाई को कमजोर करेगा’

गुरबख्श सिंह ने स्पष्ट किया कि उनका संगठन राजनीति करने या विभिन्न पार्टियों द्वारा चुनाव लड़ने के खिलाफ नहीं हैं. उनके मुताबिक, ”महान किसान आंदोलन के बाद जब बड़ी जीत प्राप्त हुई तो उस समय किसान आन्दोलन की सामूहिकता को बनाए रखकर संघर्ष को आगे ले जाना जरूरी है। हम सब जानते हैं कि संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन समाप्त नहीं किया, बल्कि स्थगित किया है. अभी एमएसपी से लेकर कर्ज मुक्ति के महत्वपूर्ण सवाल बाकी हैं। इस समय किसान संगठनों या किसान नेताओं का चुनावी मोर्चा बना कर चुनाव में उतारना किसानों की लड़ाई को कमजोर करेगा।”

‘आंदोलन की विरासत का राजनीतिक लाभ लेने से परहेज करें’

गुरबख्श सिंह ने चुनावी मोर्चा बना कर चुनाव में जाने वाले किसान संगठनों व व्यक्तियों से अपील की है कि वह कम से कम साल भर चले किसानों के आंदोलन की विरासत का राजनीतिक लाभ लेने से परहेज करें. उन्होंने कहा, ”किसान संगठन या किसान नेता राजनीतिक पार्टी बना कर चुनाव में उतरने का इरादा व्यक्त करते हैं वे संयुक्त किसान मोर्चा से खुद को अलग करने की घोषणा कर दें.” मालूम हो कि जिन किसान संगठनों ने राजनीति से दूर रहने का फैसला किया है, उनमें जय किसान आंदोलन के अलावा कीर्ति किसान संघ, क्रांतिकारी किसान संघ, बीकेयू क्रांतिकारी, दोआबा संघर्ष समिति, बीकेयू सिद्धूपुर और किसान संघर्ष समिति शामिल हैं।