आजतक नहीं सुलझ पाया इस परछाई का रहस्य, कहानी जानकर ही कांप जाते हैं लोग!..

आपने अक्सर ध्यान दिया होगा कि जब भी आप धूप में कहीं चलते हैं तो आपकी परछाई भी आपके साथ ही चलती दिखाई देती है और अगर रूक गए तो परछाई भी रूक जाती है, लेकिन जापान के हिरोशिमा शहर में एक ऐसी परछाई है, जो कई सालों से रहस्य ही बनी हुई है. यह इंसान जैसी दिखने वाली एक परछाई है, जिसके पीछे का रहस्य जानने की बहुत कोशिशें हुईं, लेकिन यह अब भी एक अबूझ पहेली ही बनी हुई है. आइए जानते हैं इसके बारे में…

हिरोशिमा के बारे में तो आप बेहतर जानते होंगे कि यह दुनिया का पहला ऐसा शहर है, जहां अमेरिका द्वारा परमाणु बम गिराया गया था. यह घटना साल 1945 में घटी थी और वो रहस्यमय परछाई इसी शहर में मौजूद है.

हिरोशिमा के बारे में तो आप बेहतर जानते होंगे कि यह दुनिया का पहला ऐसा शहर है, जहां अमेरिका द्वारा परमाणु बम गिराया गया था. यह घटना साल 1945 में घटी थी और वो रहस्यमय परछाई इसी शहर में मौजूद है.

इस रहस्यमय परछाई को 'शैडोज ऑफ हिरोशिमा' या 'द हिरोशिमा स्टेप्स शैडो' के नाम से जाना जाता है. कहते हैं कि हिरोशिमा में जिस जगह पर परमाणु बम का धमाका हुआ था, वहां से करीब 850 फीट की दूरी पर परछाई वाली तस्वीर खींची गई थी, जहां कोई आदमी बैठा हुआ था.

इस रहस्यमय परछाई को ‘शैडोज ऑफ हिरोशिमा’ या ‘द हिरोशिमा स्टेप्स शैडो’ के नाम से जाना जाता है. कहते हैं कि हिरोशिमा में जिस जगह पर परमाणु बम का धमाका हुआ था, वहां से करीब 850 फीट की दूरी पर परछाई वाली तस्वीर खींची गई थी, जहां कोई आदमी बैठा हुआ था.

ऐसा कहा जाता है कि परमाणु बम के धमाके में उस आदमी की तो जान चली ही गई होगी, लेकिन उसकी परछाई की छाप वहां रह गई. अब वह आदमी कौन था, इसकी पहचान आजतक नहीं हो पाई है.

ऐसा कहा जाता है कि परमाणु बम के धमाके में उस आदमी की तो जान चली ही गई होगी, लेकिन उसकी परछाई की छाप वहां रह गई. अब वह आदमी कौन था, इसकी पहचान आजतक नहीं हो पाई है.

आपको जानकर हैरानी होगी कि हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम के फटने की वजह से करीब 4,000 डिग्री सेल्सियस की गर्मी पैदा हुई थी. अब अंदाजा लगा सकते हैं कि जहां लोग 50-60 डिग्री की गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाते, वहां 4 हजार डिग्री सेल्सियस की गर्मी में इंसान का तो नामोनिशान ही मिट जाएगा.

आपको जानकर हैरानी होगी कि हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम के फटने की वजह से करीब 4,000 डिग्री सेल्सियस की गर्मी पैदा हुई थी. अब अंदाजा लगा सकते हैं कि जहां लोग 50-60 डिग्री की गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाते, वहां 4 हजार डिग्री सेल्सियस की गर्मी में इंसान का तो नामोनिशान ही मिट जाएगा.

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