बिलासपुर 24 दिसम्बर(वेदांत समाचार)। बिलासपुर में इको कार के साइलेंसर चोरी करने वाले गिरोह को पुलिस ने पकड़ा है। गिरोह में नाबालिग सहित चार युवक शामिल हैं। पकड़े गए आरोपी महंगी धातु पैलेडियम के लिए साइलेंसर चोरी करते थे। आरोपियों से पूछताछ कर पुलिस पैलेडियम के खरीदार की जानकारी जुटा रही है। बताया जा रहा है कि खरीदारों में उत्तर प्रदेश के लोग भी शामिल हैं।
सिविल लाइन थाना प्रभारी शनिप रात्रे ने बताया कि बीते कुछ दिनों से जिले के अलग-अलग क्षेत्र से इको कार के साइलेंसर चोरी की लगातार शिकायतें मिल रही थी। टीम जांच में जुटी थी। तभी पता चला कि सरकंडा के चांटीडीह स्थित रामायण चौक में निवासी मो. इमरान खान (29) साइलेंसर बेचता है। इस पर पुलिस ने उसे पकड़ लिया।
पूछताछ में उसने बताया कि वह तालापारा में रहने वाले अपने दोस्त मो. इरफान खान (30) व मगरपारा निवासी इमरान उर्फ अनीश खान (20) और एक नाबालिग के साथ मिलकर इको कार का साइलेंसर चोरी किया था। उसके बताए अनुसार पुलिस ने नाबालिग के साथ ही इरफान और इमरान को भी पकड़ लिया। उनके पास से पुलिस ने इको कार के 12 साइलेंसर भी जब्त किए। पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
पैलेडियम धातु के लिए चोरी करते हैं साइलेंसर
इको कार से लगातार साइलेंसर चोरी होने की शिकायत पर पुलिस ने जांच की। इस दौरान मारूति शो रूम में भी जानकारी जुटाई। तब पता चला कि इको कार के साइलेंसर में पैलेडियम धातु लगा रहता है, जो काफी महंगी है।TI शनिप रात्रे ने बताया कि गिरोह के सदस्यों ने सिविल लाइन के साथ ही तोरवा, कोतवाली व शहर से लगे सकरी और सिरगिट्टी क्षेत्र से साइलेंसर चोरी की थी। इसके अलावा कोटा सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भी इको कार से साइलेंसर चोरी होने की शिकायतें मिली है।
उत्तर प्रदेश से आते हैं खरीदार, जानकारी जुटा रही पुलिस
पुलिस की पूछताछ में आरोपी युवकों ने बताया कि साइलेंसर चोरी के बाद वे धातु निकालकर रख लेते थे। जिसे खपाने के लिए उत्तर प्रदेश जाते थे। साथ ही उत्तर प्रदेश से खरीदार आने की बात भी युवकों ने बताई है। हालांकि, उन्होंने अभी खरीदारों की विस्तृत जानकारी व पहचान उजागर नहीं किया है। ऐसे में पुलिस गिरोह के सदस्यों से खरीदारों की जानकारी जुटा रही है।
दुनिया की सबसे कीमती धातु में है पैलेडियम
दुनिया की सबसे कीमती धातु में पैलेडियम शामिल है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि हमेशा इस धातु की शॉर्टेज बनी रहती है। यह उतनी मात्रा में मौजूद नहीं है, जितनी इसकी मांग है। इसका इस्तेमाल गाड़ियों और ट्रकों जैसे वाहनों में प्रदूषण नियंत्रण उपकरण बनाने के लिए किया जा रहा है। एक ही साल में इसकी कीमत दोगुने से भी अधिक हो गई है। इसकी कीमत सोने से भी ज्यादा है।
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