अंडरवर्ल्ड डॉन से CBI ने हवाई यात्रा के दौरान की थी पूछताछ, तमाम राज का हुआ पर्दाफाश..

अब से करीब 19 साल पहले यानि 22 जनवरी 2002 को  आतंकवादियों ने कोलकता स्थित अमेरिकन सेंटर पर हमला बोलकर चार सुरक्षाकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया था. सुबह-सुबह अंजाम दी गई उस आतंकवादी घटना में 20 से ज्यादा बेकसूर बुरी तरह जख्मी हुए थे.उस खूनी हमले की घटना को मोटर साइकिल सवार आतंकवादियों (Terrorist Attack) ने अंजाम दिया था. घटना के तुरंत बाद ही खुद को फरहान मलिक बता रहे एक अनजान का फोन कॉल पहुंचा राजीव कुमार के घर पर. आईपीएस राजीव कुमार उन दिनों कोलकता पुलिस में अधीक्षक सीआईडी थे.

हमले के तुरंत बाद ही भारतीय और अमेरिकन एजेंसियां हरकत में आ गईं. जांच में सीबीआई भी जुट गई. कोलकता  सीआईडी पुलिस अधीक्षक राजीव कुमार को फोन करने वाले अनजान शख्स ने बताया कि वो, फरहान मलिक बोल रहा है. अमेरिकन सेंटर पर हमला हो गया है. जिसमें कुछ लोग मर गए हैं.

आफताब तुम नाम बदलकर क्यों बोल रहे

इस पर जबाब में राजीव कुमार ने अनजान को हड़काने वाले अंदाज में कहा कि, “आफताब अंसारी तुम नाम बदलकर क्यों बोल रहे हो.” राजीव कुमार का वाक्य पूरा हो पाता उससे पहले ही आफताब अंसारी ने फोन डिस्कनेक्ट कर दिया. इसके तुरंत बाद ही आफताब अंसारी ने कोलकता के एक स्थानीय अखबार में फोन किया.

आफताब अंसारी द्वारा अमेरिकन सेंटर की खबर के बाबत अखबार के दफ्तर में फोन करने के पीछे मकसद था कि, किसी तरह से उस हमले की खबर जल्दी से जल्दी देश और दुनिया को पता चल सके. उसके बाद से कई दिनों तक आफताब अंसारी का कोई अता-पता नहीं लग सका.

अमेरिकी एजेंसियों ने भारत में डाला डेरा

उधर अमेरिकन एजेंसियां (Central Intelligence Agency CIA) हर हाल में अमेरकिन सेंटर (American Centre Attack) पर हुए आतंकवादी हमले के षडयंत्रकारियों की गर्दन तक पहुंचने में जुटी थीं. लिहाजा आफताब तक पहुंचने की कोशिश में सीबीआई निदेशक पी.सी. शर्मा ने उन दिनों महकमे के पास मौजूद और उन दिनों संयुक्त आयुक्त के पद पर तैनात 1976 बैच के आईपीएस अधिकारी नीरज कुमार को भी जांच में शामिल कर दिया.

इस उम्मीद में कि कोलकता स्थित अमेरिकन सेंटर में सिर्फ किसी आतंकवादी संगठन का ही हाथ नहीं है. इसमें आफताब अंसारी से अंडरवर्ल्ड डॉन का भी हाथ संभव हो सकता है. नीरज कुमार की उन दिनों भी आफताब अंसारी जैसे हर गैंगस्टर्स की कुंडली रहती थी. एक दिन नीरज कुमार ने आफताब अंसारी से संबंधित तमाम वे जानकारियां इकट्ठी करके डायरेक्टर सीबीआई को थमा दीं.

दुबई से पाकिस्तान भागने की फिराक में था

इन्हीं जानकारियों की मदद से आफताब अंसारी (Aftab Ansari) तक पहुंचा जा सकता था. नीरज कुमार (IPS Neeraj Kumar) ने तो अपने “बॉस” के जरिये हिंदुस्तानी हुकूमत को यहां तक इशारा कर दिया कि, आफताब अंसारी दुबई में मौजूद है. और वो किसी भी दिन दुबई से कराची की फ्लाइट पकड़ कर हमारे हाथ से गायब हो सकता है.

नीरज कुमार (Delhi Police Commissioner Neeraj Kumar) से हासिल अंदर की बात जितने काम की थी. उससे ज्यादा चिंता वाली भी थी. वजह, दुबई में मौजूद आफताब (Dubai Aftab Ansari) को दबोचना हिंदुस्तानी एजेंसियों के लिए इतनी जल्दी आसान नहीं था. लिहाज नीरज कुमार के मशविरे पर एक दिन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के सीधे हस्तक्षेप पर, वो फाइल जिसमें आफताब अंसारी की जन्म-कुंडली बंद थी.

आफताब की कुंडली अमेरिका के हवाले

आफताब की कुंडली भारत (नई दिल्ली) में मौजूद अमेरिकन एजेंसियों के अफसरों के हवाले कर दी गई. परिणाम यह रहा कि अमेरिका के दबाव में दुबई (Dubai Airport) ने चंद दिन में हवाई अड्डे पर आफताब अंसारी को घेर लिया. उस वक्त जब वो कराची (पाकिस्तान) की फ्लाइट से दुबई छोड़कर भागने वाला था. चूंकि आफताब अंसारी से जुड़ी हर जानकारी सीबीआई (Central Bureau of Investigation CBI) के ज्वाइंट डायरेक्टर नीरज कुमार (CBI Joint Director Neeraj Kumar) ने जुटाई थी.

लिहाजा दुबई से आफताब को लाने के लिए भी उन्हें ही वहां भेजा गया. 10 फरवरी 2002 को नीरज कुमार आफताब अंसारी के लेकर चार्टर्ड प्लेन से दिल्ली के लिए रवाना हो गए. आफताब अंसारी के साथ दुबई ने उसका राइट हैंड गुजरात का गैंगस्टर Rajendra Anadkat alias Raju Anadkat alias gangster Rajendra Kumar Sharma (गैंगस्टर राजेंद्र अनडकट उर्फ राजू अनडकट उर्फ राजेंद्र कुमार शर्मा) भी सीबीआई के हवाले कर दिया.

अंडरवर्ल्ड डॉन के साथ गैंगस्टर बतौर ‘गिफ्ट’ मिला

राजू अनडकट भारत और सीबीआई के लिए आफताब अंसारी के साथ बतौर ‘गिफ्ट’ ही मिल गया था. तब तक कोलकता स्थित अमेरिकन सेंटर पर आतंकवादी हमले में राजू अनडकट का दूर-दूर तक नाम-ओ-निशां नहीं था. हालांकि नीरज कुमार उसे बहुत पहले से जानते थे. क्योंकि उसके खिलाफ सीबीआई ने जयपुर में एक मुकदमा दर्ज कर रखा था.

आफताब अंसारी और राजू अनडकट के चार्टर्ड प्लेन में बैठते ही सीबीआई अफसरों ने उनकी हथकड़ियां खोल दीं. आफताब अंसारी को हवाई जहाज में मौजूद सीबीआई के संयुक्त निदेशक नीरज कुमार (दिल्ली के रिटायर्ड पुलिस कमिश्नर) ने अपनी सीट के बराबर में बैठाया. जबकि राजू अनडकट को हवाई जहाज में दोनो तरफ की सीटों के बीच मौजूद गैलरी में सीबीआई डीएसपी एम सी साहनी ने अपने पास बैठाया था.

दुबई ने डॉन के संग एक ‘पैकेट’ भी सौंपा

जब दुबई प्रशासन की टीम ने दोनो को सीबीआई (CBI) के हवाले किया तो, उन्होंने एक पैकेट भी सीबीआई (Central Bureau of Investigation) टीम के हवाले किया. बताया था कि उस पैकेट में आफताब अंसारी की मधुमेह बीमारी (शुगर डायबिटी) से जुड़ी दवाईयां हैं. जो उसे रास्ते में जरुरत के हिसाब से देना जरूरी हैं. यहां उल्लेखनीय है कि उन दिनों खुद नीरज कुमार भी शुगर के मरीज थे. और वे जानते थे कि शुगर के मरीज के क्या क्या परेशानी अचानक पैदा हो सकती है.

आतंकवादी से आसमान में हुई पूछताछ

इन दिनों लंदन में मौजूद नीरज कुमार ने टीवी9 भारतवर्ष के इस संवाददाता को विशेष बातचीत के दौरान बताया, “उस दिन दुबई से दिल्ली के बीच की तीन घंटे की हवाई यात्रा थी. मैं आफताब अंसारी से बातचीत करके उसके दिमाग में छिपे तमाम राज अपनी यानी सीबीआई की टीम के बाकी सदस्यों से पहले ही जानने को उतावला था. सो मैंने पहले तो उसकी शुगर संबंधी बीमारी, परिवार, भाई-बहन, पढ़ाई लिखाई के बारे में कुछ देर इधर उधर की बातें कीं.

जीवन में फिर वैसी पूछताछ का मौका नहीं मिला

इसी बीच वो मेरे साथ सामान्य हो गया. जब मुझे लगा कि अब उसके दिमाग से मेरे सीबीआई ज्वाइंट डायरेक्टर अफसर होने का भय हट चुका है. तो मैं उससे पूछताछ करने लगा. उस दिन तीन घंटे की हवाई यात्रा के दौरान मैंने आसमान में उड़ते हुए जो कुछ और जैसी पूछताछ उससे की. उस तरह की पूछताछ का मौका फिर कभी किसी आफताब अंसारी से कुख्यात बदनाम अंडरवर्ल्ड डॉन से करने को नहीं मिला. आईपीएस जीवन काल में दुबारा कभी हासिल नहीं हुआ.” बेबाकी से मन की बात बताते हैं आफताब को दुबई से हथकड़ियों में जकड़ कर भारत लाने वाले पूर्व आईपीएस अफसर नीरज कुमार.

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