Vedant Samachar

CG Big Breaking: श्री नारायणा अस्पताल के संचालक डॉ. सुनील खेमका पर आयकर सर्वे में 45 करोड़ की कर चोरी उजागर

Lalima Shukla
4 Min Read

0. छत्तीसगढ़ में बीते पांच वर्षों में सर्वे के दौरान सबसे बड़ी कर घोषणा


0. नकद लेन-देन छुपाने और फर्जी खर्च दिखाने की रणनीति से कर चोरी


0 Rs 11 करोड़ अग्रिम कर जमा करने के निर्देश, अतिरिक्त दंड की प्रक्रिया जारी

रायपुर, 13 मार्च (Vedant Samachar,).राजधानी के प्रतिष्ठित श्री नारायणा अस्पताल पर आयकर विभाग की मूल्यांकन शाखा द्वारा की गई सर्वे कार्रवाई में 45 करोड़ रुपये की कर चोरी उजागर हुई है। अस्पताल संचालक डॉ. सुनील खेमका ने विस्तृत पूछताछ के बाद यह स्वीकार किया कि कर बचाने के लिए नकद प्राप्तियों को छुपाया गया और खर्चों को कृत्रिम रूप से बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया। यह आयकर विभाग की बीते पांच वर्षों में छत्तीसगढ़ में सर्वे के दौरान मिली सबसे बड़ी कर चोरी की राशि है।

मुख्य आयकर आयुक्त (सीसीआईटी) अपर्णा करन और प्रधान आयकर आयुक्त (पीसीआईटी) प्रदीप हेडाऊ के प्रत्यक्ष निर्देशन में यह ऑपरेशन 48 घंटे तक चला। संयुक्त आयुक्त बीरेंद्र कुमार और उप आयुक्त राहुल मिश्रा के नेतृत्व में 26 सदस्यीय टीम ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया, जिसमें आठ सशस्त्र पुलिसकर्मियों को भी तैनात किया गया था ताकि सर्वे के दौरान किसी भी प्रकार की रुकावट न आए।

आयकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “श्री नारायणा अस्पताल के निदेशक डॉ. सुनील खेमका को गहन पूछताछ के बाद कर गड़बड़ी स्वीकार करनी पड़ी। उनके खिलाफ 45 करोड़ रुपये की कर चोरी का मामला सामने आया है, जिसके तहत उन्हें तत्काल Rs 11 करोड़ अग्रिम कर जमा करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा, कर विभाग अतिरिक्त दंड और ब्याज की गणना कर आगे की कार्रवाई करेगा।”

सूत्रों के अनुसार, अस्पताल पर बीते दो महीनों से नजर रखी जा रही थी। आयकर अधिकारियों ने लेन-देन, आय-व्यय के रिकॉर्ड और अस्पताल के वित्तीय दस्तावेजों का बारीकी से अध्ययन किया। सर्वे के दौरान सामने आया कि अस्पताल प्रशासन ने बड़ी मात्रा में नकद लेन-देन को कर विवरणी में दर्ज नहीं किया और फर्जी खर्चे जोड़कर कर देयता को कृत्रिम रूप से कम दिखाया।

जांच में ऐसे दस्तावेज और डिजिटल डेटा मिले हैं जो स्पष्ट रूप से संकेत देते हैं कि अस्पताल प्रबंधन ने जानबूझकर वित्तीय रिकॉर्ड में हेरफेर किया। “अस्पताल के लेखांकन में बड़े पैमाने पर फर्जी बिलिंग और काल्पनिक खर्चों का समावेश किया गया था, जिसका उद्देश्य कर चोरी करना था।” एक अधिकारी ने बताया।

आयकर विभाग ने अस्पताल के वित्तीय रिकॉर्ड, अचल संपत्तियों में किए गए निवेश और डिजिटल साक्ष्यों को जब्त कर विस्तृत जांच शुरू कर दी है। सूत्रों का कहना है कि अस्पताल से जुड़े कई और महत्वपूर्ण दस्तावेज अब अधिकारियों की नजर में हैं, जिनकी पड़ताल जारी है।

आयकर विभाग के अधिकारियों के अनुसार, भविष्य में भी निजी अस्पतालों और अन्य बड़े संस्थानों पर ऐसी सख्त कार्रवाई जारी रहेगी। वित्तीय अनियमितताओं को रोकने और कर चोरी पर नकेल कसने के लिए विभाग अपनी सर्वे रणनीति को और अधिक मजबूत करने की योजना बना रहा है।

Share This Article