शीतलहर की चपेट में उत्तर भारत : अचानक क्यों बढ़ी ठंडी, जानें यहां…

नई दिल्ली । उत्तर भारत में पिछले एक हफ्ते में तापमान में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है, इसके चलते शीतलहर का प्रकोप जारी है। राजधानी दिल्ली के साथ-साथ राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, चंडीगढ़ और जम्मू-कश्मीर में तो अगले कुछ दिन भीषण शीतलहर चलने का अनुमान लगाया गया है। इसी सिलसिले में मौसम विभाग ने इन राज्यों के लिए अलर्ट भी जारी किया था। आईएमडी की यह भविष्यवाणी काफी हद तक सही होती दिखाई दे रही है, क्योंकि पूरे उत्तर भारत में पिछले तीन दिन से न्यूनतम तापमान लगातार नीचे जा रहा है।

अगर दिल्ली के ही तापमान की बात कर ली जाए, तो जहां शनिवार को जहां न्यूनतम तापमान 6 डिग्री सेल्सियस था, तो वहीं रविवार को यह 4.6 डिग्री सेल्सियस रहा। सोमवार सुबह दिल्ली ने सीजन की अपनी सबसे ठंडी सुबह देखी, जब न्यूनतम तापमान 3.2 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में आम लोग इस बात को लेकर चिंता में हैं कि आखिर इस ठंड का प्रकोप कब तक चलेगा और दिसंबर के मध्य में सर्दी अचानक इतना क्यों बढ़ गई? 

क्या है उत्तर भारत में अचानक ठंड बढ़ने का कारण?विशेषज्ञों की मानें तो भारत में इस साल भीषण ठंड के पीछे एक वजह `ला नीना` का प्रभाव है। अमेरिकन जियोसाइंस इंस्टिट्यूट के मुताबिक, अल नीनो और ला नीना शब्द का संदर्भ प्रशांत महासागर की समुद्री सतह के तापमान में समय-समय पर होने वाले बदलावों से है। इसका प्रभाव दुनिया भर में मौसम पर पड़ता है। सीधे शब्दों में समझा जाए, तो अल नीनो की वजह से तापमान गर्म होता है और ला नीना के कारण ठंडा। दोनों आमतौर पर 9-12 महीने तक रहते हैं, लेकिन असाधारण मामलों में कई वर्षों तक रह सकते हैं।

विशेषज्ञों की मानें तो भारत में इस साल भीषण ठंड के पीछे एक वजह `ला नीना` का प्रभाव है। अमेरिकन जियोसाइंस इंस्टिट्यूट के मुताबिक, अल नीनो और ला नीना शब्द का संदर्भ प्रशांत महासागर की समुद्री सतह के तापमान में समय-समय पर होने वाले बदलावों से है। इसका प्रभाव दुनिया भर में मौसम पर पड़ता है। सीधे शब्दों में समझा जाए, तो अल नीनो की वजह से तापमान गर्म होता है और ला नीना के कारण ठंडा। दोनों आमतौर पर 9-12 महीने तक रहते हैं, लेकिन असाधारण मामलों में कई वर्षों तक रह सकते हैं।

भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर क्षेत्र के सतह पर निम्न हवा का दबाव होने पर ये स्थिति पैदा होती है। इसकी उत्पत्ति के अलग-अलग कारण माने जाते हैं, लेकिन सबसे प्रचलित कारण ये है कि यह तब पैदा होता है, जब ट्रेड विंड यानी पूर्व से बहने वाली हवा काफी तेज गति से बहती हैं। इससे समुद्री सतह का तापमान काफी कम हो जाता है। 

इसका सीधा असर दुनियाभर के तापमान पर होता है और तापमान औसत से अधिक ठंडा हो जाता है। ला नीना से आमतौर पर उत्तर-पश्चिम में मौसम ठंडा और दक्षिण-पूर्व में मौसम गर्म होता है। भारत में इस दौरान भयंकर ठंड पड़ती है और बारिश भी अच्छी होती है।

भारत पर कैसे पड़ रहा असर?

ला नीना की वजह से ही पूर्व में स्थित रूस के साइबेरिया और दक्षिण चीन की ठंडी हवाएं भारतीय उपमहाद्वीप की तरफ आती हैं। इन हवाओं का असर ऐसा होता है कि कई बार दक्षिण भारत के राज्यों में भी तापमान सामान्य से कुछ नीचे चला जाता है। सर्दी के मौसम में उत्तर में ला नीना की वजह भारत के उत्तरी क्षेत्र से लेकर अफगानिस्तान, ईरान और हिंदू-कुश की बर्फीली पहाड़ियों तक ला नीना भयंकर ठंड पैदा करती हैं। 

वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस बार ला नीना की वजह से भयानक ठंड की स्थिति दिसंबर से लेकर फरवरी तक चलेगी। माना जा रहा है कि इस दौरान ला नीना का प्रभाव और मजबूत हो जाएगा। हालांकि, भारत में ठंड की तीव्रता सिर्फ ला नीना के प्रभाव पर ही निर्भर नहीं है, बल्कि पश्चिमी विक्षोभ जैसे कुछ अन्य कारण भी सर्दी के मौसम में अहम भूमिका निभाते हैं।