गुरूघासीदास जी की 265वीं जयंती गुरू पर्व के शुभ अवसर पर सतनामी समाज के वरिष्ठ, युवाओं द्वारा किया गया रचनात्मक एवं सराहनीय कार्य – मनीराम जांगड़े

कोरबा 19 दिसम्बर (वेदांत समाचार)। परम पूज्य गुरू घासीदास बाबाजी की 265वीं जयंती एवं गुरू पर्व के शुभ अवसर पर अखिल भारतीय सतनामी युवा कल्याण समिति के द्वारा बहुत ही रचनात्मक एवं प्रषंसनीय कार्य करते हुए समिति के पदाधिकारियों ने उन्हे शत्-षत् नमन करते हुए बाबाजी की जयंती मनाई। इस पावन पर्व पर सतनामी समाज के वरिष्ठ, युवा पदाधिकारियों के द्वारा कोरबा जिला मुख्यालय डिंगापुर, रामपुर में संचालित दिव्य ज्योति छात्रावास में निवास कर पठन पाठन के कार्य कर रहे छात्र-छात्राओं को सतनाम परषादी का वितरण किया गया। उक्त छात्रावास में मूक बघिर, दृष्टि बाधित एवं मंद बुद्वि के छात्र-छात्राएं निवास करते हैं। समिति के पदाधिकारियों ने परम पूज्य गुरू घासीदास बाबाजी से उनके लिए कामाना किए कि वे पढ़ लिखकर उच्च पदों पर  पदस्थ हो ताकि संस्था एवं अपने माता-पिता सहित गुरूजनों व जिले व प्रदेष का नाम रोषन करे। उक्त कार्यक्रम में संस्था की अधीक्षीका श्रीमती हेमलता बतौर मुख्य अतिथि रही, साथ ही अघ्यक्षता अखिल भारतीय सतनामी युवा कल्याण समिति के प्रदेष अध्यक्ष मनीराम जांगड़े ने की।

इसी परिपेक्ष्य में समिति के पदाधिकारियों के द्वारा इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय कोरबा में स्वास्थ्य लाभ ले रहे कुपोषित बच्चों के माताओं को गुरू घासी दास बाबाजी के प्रसाद के रूप मंे फल एवं पौष्टिक आहार का वितरण किया गया साथ ही चिकित्सालय में स्वास्थ्य लाभ ले रहे मरीजों को भी फल वितरण किया गया। उक्त कार्यक्रम में समिति के प्रदेष अध्यक्ष मनीराम जांगड़े, नरेन्द्र भारद्वाज, भूवनेष्वर कुर्रे अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उक्त कार्यक्रम के आयोजन को लेकर समिति के प्रमुख मनीराम जांगड़े ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि गुरू घासीदास जी हमें सदैव सत्य के मार्ग पर चलने की राह दिखाई है एवं उनके द्वारा समस्त मानव समाज को संदेष दिया है ’’ मनखे-मनखे एक समान ’’ इस वाणी को हमें सदैव अपने जीवन में आत्मसात करना है तभी समाज एवं हमारा प्रदेष   उन्नति की ओर अग्रसर होगा। आज बाबाजी को सतनामी समाज ही नहीं अपितु प्रत्येक समाज के लोग उन्हें आज के दिन नमन करते हैं।

उक्त कार्यक्रम को सफल बनाने में सर्वश्री जे.पी. कोसले राजमंहत, सुरेष धारी, पुष्कर आदिले, अजित कुमार जांगड़े, दिनेष कुमार कुर्रे, संजय कुमार दिव्य, के.पी. कौषिक, रवि खूंटे, अषोक पाटले, खोलबहरा रत्नाकर, कमलेष अनंत, सुरेष महिलांगे, नरेष टंडन, पवन जांगड़े, हरीष जांगड़े, शांति लाल, निर्मल किरण, गोपाल कुर्रे एवं सतनामी समाज के राजमंहत कीर्तनलाल भारद्वाज, के.आर. डहरिया, अमरनाथ बंजारे, कलाराम कुर्रे, जी.एल. लहरे का सराहनीय योगदान रहा।