विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में आज भारत के लिए बहुत बड़ा दिन है. इस चैंपियनशिप में भारत के दो पदक पक्के हो गए हैं. पहले सेमीफाइनल में किदाम्बी श्रीकांत का सामना युवा भारतीय खिलाड़ी लक्ष्य सेन से होना है. दोनों में से जिसके हिस्से जीत आएगी वो कम से कम रजत पदक के साथ इतिहास रचते हुए भारत लौटेगा. श्रीकांत का नाम भारत के शीर्ष खिलाड़ियों में लिया जाता है लेकिन लक्ष्य सेन युवा हैं और इस युवा खिलाड़ी ने अपने खेल से जो मुकाम हासिल किया है वो काबिलेतारीफ है. कौन हैं लक्ष्य सेन और अभी तक कैसा रहा है उनका सफर, हम आपको बता रहे हैं.
लक्ष्य के बैडमिंटन विरासत में मिला है. वह उत्तराखंड के अल्मोड़ा से आते हैं और उनके दादाजी वहां बैडमिंटन खेला करते थे. उनके पिता डीके सेन भी बैडमिंटन कोच हैं, लेकिन लक्ष्य के खेल का ललक लगी अपने भाई चिराग को देखकर. चिराग 13 साल की उम्र में नेशनल रैंकर बन गए थे. घर में बैडमिंटन का माहौल था और फिर बड़े भाई को देखकर लक्ष्य ने भी इस खेल में रूचि दिखाई. उनके दादाजी जब खेलने जाते तो वह लक्ष्य को अपने साथ ले जाते और फिर पिता ने उनको इस खेल का बारीकियां सिखाने शुरू कर दीं.
2010 लक्ष्य के लिए जीवन बदलने वाला कहा जा सकता है. इस साल वह बेंगलुरू में एक जूनियर स्तर का टूर्नामेंट खेल रहे थे. यहां भारत के महान बैडमिंटन खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण और भारत के पूर्व कोच विमल कुमार की नजरें उन पर पड़ीं. लक्ष्य के साथ उनके भाई चिराग भी थे, लेकिन विमल और पादुकोण दोनों को लक्ष्य का खेल ज्यादा भाया. चिराग का प्रकाश पादुकोण की अकादमी में चयन हुआ लेकिन लक्ष्य भी वहां रहना चाहते थे. विमल को लगा कि वह अभी काफी युवा हैं लेकिन उनकी प्रतिबद्धता और जुनून को देखकर वह मान गए.
2011 में पादुकोण को लगा कि लक्ष्य में काफी प्रतिभा है और उन्हें ओलिंपिक गोल्ड क्वेस्ट के समर्थन की जरूरत है. यहां से फिर लक्ष्य इंडोनेशिया, सिंगापुर, डेनमार्क और इंग्लैंड गए. इन देशों में खेलने से लक्ष्य के खेल में सुधार आया और वह परिपक्व बने.
15 साल की उम्र में लक्ष्य ने नेशनल जूनियर अंडर-19 का खिताब अपने नाम किया. 2015 में लक्ष्य ने अंडर-17 नेशनल का खिताब जीता. 2016 में उन्होंने दोबारा अंडर-19 में गोल्ड मेडल अपने नाम किया. उन्होंने 17 साल की उम्र में 2017 में सीनियर नेशनल फाइनल्स खेल और खिताब जीता. 2018/19 में वह दोबारा सीनियर नेशनल फाइनल्स में खेले लेकिन इस बार उनके हिस्से सिर्फ रजत पदक आया. जूनियर स्तर पर लक्ष्य कमाल दिखा रहे थे. 2018 में एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता. उन्होंने जूनियर विश्व चैंपियन थाईलैंड के विटिड्सारन को को हराया. उन्होंने 2018 में यूथ ओलिंपिक गेम्स में रजत पदक भी जीता.
जूनियर स्तर पर घरेलू स्तर पर अपना दम दिखाने के बाद लक्ष्य ने सीनियर वर्ग में इंटरनेशनल लेवल पर अपना नाम कमाना शुरू किया. उन्होंने कई टॉप-20 खिलाड़ियों को मात दी इनमें भारत के ही एचएस प्रणॉय, मलेशिया के ली जी, इंडोनेशिया के जॉनथन क्रिस्टी के अलावा कई बड़े नाम शामिल हैं. उन्होंने चीन के लिन डैन के भी एक मैच में पसीन छुड़ा दिए थे. 3 मई 2018 को न्यूजीलैंड ओपन में खेले गए मैच में लक्ष्य ने लिन डैन के खिलाफ पहला गेम जीता था, लेकिन चीन के खिलाड़ी ने वापसी करते हुए आखिरी दो गेम जीत मैच अपने नाम किया था.
बीडब्ल्यूएफ सर्किट के लक्ष्य को दो साल ही हुए थे और उन्होंने अपन जलवा दिखा दिया था. 20 साल की उम्र में ये खिलाड़ी 24वीं रैंकिंग पर आ गया था. इस समय उनकी रैंकिंग 19वीं है. सीनियर स्तर पर लक्ष्य ने इंडिया इंटरनेशनल सीरीज, स्कॉटिश और डच ओपन का खिताब अपने नाम किया. वह इसी साल ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप में क्वार्टर फाइनल में पहुंचे.
अब इस युवा खिलाड़ी ने बीडब्ल्यूफ विश्व चैंपियनशिप के सेमीफाइनल में कदम रखते हुए अपने करियर में बड़ी उपल्बिध हासिल की है. निश्चित तौर पर लक्ष्य को पुरुष वर्ग में भारत के अगले सितार के रूप में देखा जा सकता है. उन्होंने बताया है कि वह इस काबिल हैं.
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