ठंड के मौसम में सब्जियों की फसल के लिए इन बातों का रखें ध्यान, पशुओं की कुछ यूं करें देखभाल

दिसंबर का महीना आधा निकल चुका है. भारत के मैदानी इलाकों में कड़ाके की ठंड पड़ रही है और तापमान का गिरना जारी है. इस समय किसानों के सामने सब्जियों की फसल और पशुओं की देखभाल करने की चुनौती है. पाले के असर से दोनों को बचाने के लिए किसानों को विशेष ध्यान रखने की जरूरत है.

अगर सब्जी की बात करें तो तापमान में कमी को देखते हुए सब्जियों में सिंचाई शाम के समय करें. ये फसलों को संभावित पाले और शीतलहर से बचाने में मददगार होती है. इस मौसम में किसान भाई सब्जियों की निराई-गुड़ाई कर के खर पतवारों को नष्ट करें. सब्जियों की फसल में सिंचाई करें और उसके बाद संतुलित उर्वरकों का उपयोग करें. खेत में तैयार मूली, गाजर और शलजम को उखाड़ कर बिक्री के लिए बाजार भेज दें.

ज्यादातर हिस्सों में गोभी की फसल तैयार हो गई है और बाजार में बिक्री के लिए किसान ला रहे हैं. कुछ हिस्सों में पाला पड़ना भी शुरू हो गया है. ऐसे में अगर गोभी तैयार हो गई है तो समय पर तुड़ाई कर लें. अगर ऊपरी हिस्से पर पीलापन लगने की शुरुआत हो गई है तो तुरंत ही तुड़ाई कर लें. देरी करने पर यह बढ़ता ही जाएगा और आपके उत्पाद की कीमत गिर जाएगी.

पालक को जड़ से न उखाड़ें

अगर आपने लहसुन की खेती की है तो पहले हल्की सिंचाई और बाद में हल्की गुड़ाई करें. मिर्च और बैंगन की तैयार फसल को तोड़ लें और अगली पैदावार के लिए इंतजार करें. अक्टूबर में बोई गई पालक की फसल पककर तैयार हो गई होगी. ऐसे में किसान भाई इनकी कटाई कर सकते हैं. पालक से कई बार पैदावार ली जा सकती है, इसलिए पौधों को जड़ से न उखाड़े और जरूरत पड़ने पर सिंचाई करते रहें.

पशुपालक इन बातों का रखें ध्यान

पशुपालकों को सलाह दी जाती है कि पशुओं को रात में खुले में न छोड़ें. सर्दियों के मौसम में उनके आवास का बेहतर प्रबंधन करें और दिन के समय पशुओं को खुली धूप में बांधें क्योंकि सूर्य की किरणों में जीवाणु-विषाणु को नष्ट करने की क्षमता होती है, जिससे बीमारियों की आशंका कम हो जाती है.

इस समय प्रचुर मात्रा में हरे चारा की उपलब्धता है. लेकिन पशुओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए संतुलित मात्रा में ही हरा चारा दें. खनिज लवण और शुष्क पदार्थ पशुओं के चारे में शामिल करें, इससे ठंड में उन्हें काफी मदद मिलेगी.