देश की सीमा पर डटकर देश की हिफाजत करने वाले चौरीचौरा फयानाथ माली अब बुढ़ापे में अपनी जमीन को वापस पाने के लिए कोर्ट के चक्कर लगाने को मजबूर हो रहे हैं. दरअसल फयानाथ माली अब बुढ़ापे में अपने नाम आवंटित साढ़े तीन एकड़ जमीन को वापस पाने के लिए राजस्व न्यायालय मे दर दर भटक रहे हैं. अपनी जमीन वापस पाने के लिए उन्होंने वो हर दरवाजा खटखटा लिया है जहां से मदद की उम्मीद जताई जा सकती है. फयानाथ माली ने सीएम पोर्टल, डीएम, एसडीएम, समाधान दिवस सहित अन्य कई अधिकारियों से मदद मांग चुका हूं, लेकिन न्याय नहीं मिला है.
फयानाथ माली 1971 में लद्दाख में सीमा की रक्षा में तैनात थे. भूमिहीन होने की वजह से उन्होंने तत्कालीन डीएम से भूमि की मांग की थी. डीएम के निर्देश पर सदर परगनाधीश ने उन्हें सैनिक सम्मान में उन्हें सिलहटा मुंडेरा गांव में साढ़े तीन एकड़ भूमि आवंटित कर दी थी.
लेखपाल ने पानी गिराकर किया नाम गायब
पूर्व सैनिक का कहना है कि भूमि आवंटित होने के बाद लेखपाल ने अभिलेख पर पानी गिराकर नाम को गायब कर दिया. इसके बाद उन्होंने लेखपाल के खिलाफ केस दर्ज करा दिया. केस लड़ने के बाद 18, जून, 1988 को परगनाधीश सदर के आदेश से फिर उनका नाम अभिलेख में चढ़ गया. इसके बाद चौरीचौरा तहसील में चकबन्दी शुरू हुआ तो उनका नाम फिर गायब कर दिया गया. जबकि पूर्व सैनिक के मामले में डीएम रही डिंपल वर्मा ने 13 जुलाई, 2004 को चकबन्दी विभाग को निर्देश दिया था फायनाथ माली को जमीन आवंटित कर दी जाए.
एक दर्जन लोगों के नाम किए गए गायब
माली का कहना है कि उस दौरान सिलहटा मुंडेरा में आवंटित की गई भूमि अभिलेख से उनके साथ एक दर्जन लोगों को गायब कर दिया गया है. जिसकी लड़ाई लड़ रहे है. उन्होंने सीएम पोर्टल, डीएम सहित अन्य अधिकारियों को पत्र से गुहार लगा चुके है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. प्रार्थना पत्र पर तहसील से भूमि पर पानी जमा होने की रिपोर्ट को लगा दिया गया.
वहीं चौरीचौरा एसडीएम का कहना है कि पूर्व सैनिक के भूमि के मामले की जानकारी नहीं है. सैनिक द्वारा अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत करने पर चकबन्दी और तहसील की टीम बनाकर जांच कराई जाएगी. जांच रिपोर्ट पर न्यायसंगत कार्रवाई की जाएगी.
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