संसद की एक समिति ने गुरुवार को प्रस्तावित व्यक्तिगत सूचना संरक्षण कानून के दायरे को बढ़ाते हुए इसमें व्यक्तिगत और गैर-व्यक्तिगत जानकारी, दोनों को शामिल करने की सिफारिश की है.
इसके साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स (फेसबुक, ट्विटर, वॉट्सऐप, इंस्टाग्राम, यूट्यूब आदि) की ज्यादा जवाबदेही पर भी जोर दिया है. समिति का कहना है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पोस्ट होने वाले सभी कंटेंट पर कंपनियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए.
समिति ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के साथ पब्लिशर्स की तरह बर्ताव करके उनकी जवाबदेही को बढ़ाना चाहिए. बीजेपी सांसद पी पी चौधरी की अध्यक्षता में व्यक्तिगत सूचना संरक्षण विधेयक, 2019 (Personal Data Protection Bill, 2019) पर संयुक्त समिति ने गुरुवार को लोकसभा और राज्यसभा में अपनी रिपोर्ट पेश की.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए बनाए जाएंगे सख्त नियम?
लोकसभा सचिवालय की एक प्रेस रिलीज के अनुसार रिपोर्ट में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए सख्त विनियमन और एक वैधानिक मीडिया रेगुलेटरी अथॉरिटी की स्थापना के लिए मसौदा कानून के दायरे को बढ़ाने की सिफारिश की गई.
समिति ने ऐसे हार्डवेयर मैन्यूफैक्चरर्स को रेगुलेट करने के लिए एक ढांचे का सुझाव भी दिया, जो सॉफ्टवेयर के साथ-साथ जानकारी भी इकट्ठा करते हैं. इसके साथ ही इकट्ठा किए जाने वाले डेटा को भी रेगुलेट करने की सिफारिश की गई है. इसके साथ ही सभी डिजिटल और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) डिवाइस के सर्टिफिकेशन के लिए एक मकेनिज्म का समर्थन किया है.
पर्सनल और नॉन पर्सनल डेटा की भी प्रोटेक्शन की सिफारिश
बता दें कि संसदीय समिति ने करीब दो साल के लंबे इंतजार के बाद पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2019 पर अपनी रिपोर्ट संसद में पेश किया है. सिफारिशों में कहा गया है कि पर्सनल डेटा के साथ-साथ नॉन पर्सनल डेटा को भी प्रोटेक्शन मिलनी चाहिए, जिसके लिए व्यवस्था बनाई जानी चाहिए.
कमेटी ने सिफारिश की है कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) की तर्ज पर ही एक ऐसे स्वतंत्र मीडिया रेगुलेटरी अथॉरिटी भी बनाई जाए. जिससे सभी तरह की मीडिया जैसे प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और वेब मीडिया को भी रेगुलेट किया जा सके. सिफारिशों में PCI को ज्यादा ताकत देने और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर की भी मांग की गई है.
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