महिला स्व-सहायता समूह गढ़ रही आत्मनिर्भरता की कहानी..

सुकमा17 दिसम्बर(वेदांत समाचार)। जिला प्रशासन सुकमा के द्वारा बिहान समूह से जुड़ी महिलाओं को विविध प्रकार के रोजगार मूलक गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है। सुराजी ग्राम योजना अंतर्गत गरवा संवर्धन के लिए निर्मित गौठानों में इन महिला समूहों के द्वारा एक ओर जहाँ गोबर से वर्मी खाद निर्माण के साथ ही मुर्गी पालन, अण्डा उत्पादन, सब्जी उत्पादन आदि कार्य किए जा रहे है। तो वहीं दूसरी ओर महिलाओं को आर्थिक संबल प्रदान करने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए जिला प्रशासन एक कदम आगे बढ़कर कार्य कर रहा है। जिससे घर के चार दिवारी तक ही सिमित रहने वाली महिलाएं आज आत्मनिर्भरता की नई कहानियाँ गढ़ रही हैं। छिन्दगढ़ विकासखण्ड के ग्राम धोबनपाल की बाल गणेश स्व सहायता समूह की महिलाएं इस बात का उदाहरण पेश कर रही हैं। जिनकी कहानी अपने आप में रोचक और प्रेरणादायक है।

कुशल वित्तीय प्रबंधन से आय का साधन किया सुदृढ़ : बाल गणेश समूह की प्रमुख राजमणी दुवारी ने बताया कि शुरुआत में पारा की महिलाएं समूह से जुड़ने को हिचकिचा रही थी, घर के कामों से इतर कार्यों में समय दे पाने में अधिकतर ने असमर्थता जताई। ऐसे में संबंधित क्षेत्र की पीआरपी बुधमनी करंगा की सहायता लेकर गांव की महिलाओं को प्रेरित कर समूह से जोड़ती गई, आज समूह में 10 सदस्य हैं। समूह के बनते ही महिलाओं ने कुछ धनराशि एकत्रित करती गई। वहीं 3 महीने के पश्चात् आरएफ राशि प्राप्त कर महुआ खरीदी-बिक्री का कार्य किया। महुआ व्यवसाय से समूह को 7 हजार का लाभ हुआ। इस प्रकार अर्जित आय और बचत राशि, बैंक से ऋण लेकर बाल गणेश समूह ने वर्ष 2020 में मसाला कूटने और पीसने वाली मशीन खरीदी। साथ ही साप्ताहिक बाजार में होटल का संचालन भी प्रारंभ किया और मसाला तैयार करने के लिए आवश्यकतानुसार कच्चा माल (हल्दी, धनिया, मिर्ची) का क्रय करती गई। कुशल वित्तीय प्रबंधन से आज समूह की महिलाओं को दोहरी आय प्राप्त हो रही है। महिलाओं ने बताया कि विगत वर्ष कोविड काल के दरमियान ही उन्होने स्थानीय स्तर पर मसाला विक्रय कर लगभग 20 हजार की आय की। स्कूल, आश्रम शाला इत्यादी खुलने के पश्चात् वहाँ भी मसाला विक्रय करना प्रारंभ किया, विगत माह ही समूह ने लगभग ढाई क्विंटल मसाले आवासीय संस्थानों को उपलब्ध कराया। इस बार भी लगभग डेढ़ क्विंटल मसाला तैयार कर चुकी है। प्राप्त आय को वे अपने बचत बैंक में रखती है और आवश्यकतानुसार खर्च करती हैं। महिलाओं ने बताया कि वे आगामी समय में अधिक क्षमत वाली मशीन क्रय कर उत्पादन क्षमता बढ़ाना चाहती है।

एनआरएलएम से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में कुल 6 महिला समूहों द्वारा मसाला तैयार करने का कार्य किया जा रहा, अब तक महिला समूहों द्वारा आवासीय संस्थानों में लगभग 20-20 क्विंटल पिसी हल्दी, मिर्च और धनिया की आपूर्ति कर लगभग 9 लाख रुपए की आय अर्जित की गई है।

जिले में संचालित आवासीय संस्थानों में करती हैं विक्रय : जिलेे में आदिम जाति कल्याण विभाग और शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित होने वाले आश्रम छात्रावासों, पोटाकेबिन सहित ही अन्य आवासीय संस्थानों में दैनिक रुप से छात्रों सहित कर्मचारियों के लिए भोजन पकाया जाता है, जिसमें पड़ने वाले मसाले अमूमन बाजार के क्रय किए जाते हैं। बाजार क्रय से मसालों में रसायन, रंग और मिलावट से स्वास्थ्य खराब होने का डर रहता है। इस अवसर को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने महिला समूहों के माध्यम से ही आवासीय संस्थानों में मसालों की आपूर्ति करने की पहल की। जो आज जिले में सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया जा रहा है। इससे ना सिर्फ आवासीय संस्थानों के छात्रों और कर्मचारियों को शुद्ध मसाले का स्वाद और स्वास्थगत लाभ मिल रहा है बल्कि महिला समूहों को भी रोजगार उपलब्ध होन के साथ ही अतिरिक्त आय का साधन मिला है।

विदित हो कि महिला स्व सहायता समूह बिहान की महिलाओं को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत हल्दी, धनिया और मिर्ची के मसाले बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है। शीघ्र ही यह मसाले स्थानीय दुकानों के साथ-साथ शहरी आउटलेट में भी उपलब्ध होंगे। इन मसालों के निर्माण में स्वच्छता और शुद्धता का पूर्ण रूप से ध्यान रखा जाता है, मसाले किसी भी प्रकार के रसायन, रंग और मिलावट रहित हैं। मसाला निर्माण में उन उच्च गुणवत्ता का ध्यान रखा गया है। जिला प्रशासन के इस पहल से निश्चित रूप से ग्रामीण महिलाओं के आत्मनिर्भरता की राह सुदृढ़ हुई हैं।