आसाढ़ के चूके किसान, डार के चूके बेंदर…

खेती और किसाना का काम शुरू हो चुका है। खेतों में त-त, त-त की आवाजों के साथ ट्रेक्टरों की गड़गड़़ाहट भी सुनाई दे रही है। वर्षा पर किसानों का जीवन निर्भर…