⭕ भ्रष्टाचार एक जघन्य अपराध विषय पर इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में आयोजित हुए विविध कार्यक्रम ।
⭕ स्लोगन, लेखन, चित्रकला, वाद-विवाद प्रतियोगिता में बच्चों ने दिखाया जौहर ।
⭕ भ्रष्टाचार मिटाने में युवा निभाएं अहम भूमिका-डॉ. संजय गुप्ता
⭕ अपने खुन पसीने की कमाई को ना लुटाओ, भ्रष्टाचारियों को धूल चटाओ-डॉ. संजय गुप्ता
कोरबा 10 दिसम्बर (वेदांत समाचार) भ्रष्टाचार सबसे जटिल सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक घटनाओं में से एक है, जिसने दुनिया के सभी देशों को प्रभावित किया है । हम हर साल 9 दिसंबर को भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरुकता फैलाने के लिए अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस मनाते हैं । अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस का इतिहास 31 अक्टूबर 2003 से शुरू होता है, जब महासभा ने भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन को अपनाया था । तब से ड्रग्स एंड क्राइम (यूएनओडीसी) पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय को राज्यों के दलों के सम्मेलन के सम्मेलन के लिए सचिवालय के रूप में नामित किया गया था (संकल्प 58/4) । संयुक्त राष्ट्र महासभा ने तब 9 दिसंबर को भ्रष्टाचार-विरोधी दिवस के रूप में नामित किया था, जबकि सम्मेलन दिसंबर 2005 में लागू हुआ था. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और संपूर्ण वैश्विक समुदाय भ्रष्टाचार-विरोधी प्रथाओं के बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए मुख्य अग्रणी हैं । अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस का महत्व विश्व स्तर पर कदाचार के बारे में पैरोकार करना और यह बताना है कि किसी को इससे कैसे और क्यों बचना चाहिए. ये दिन भी भ्रष्टाचार-रोधी समूहों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो इस कदाचार के प्रति जागरूकता फैलाते हैं और अपने कार्यस्थल पर भ्रष्टाचार से बचने के साधनों और तरीकों को साझा करते हैं. लोकतांत्रिक संस्थाओं की नींव को बचाने के लिए भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी होने से रोकने की आवश्यकता है क्योंकि भ्रष्टाचार कानून के शासन को झुकाकर चुनावी प्रक्रियाओं को विकृत करता है.
समाज में फैली इस व्यापक बुराई को समाप्त करने के उद्देश्य से हर वर्ष सतर्कता जागरुकता सप्ताह राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है। जिसके अंतर्गत विविध शासकीय और गैर शासकीय संस्थाओं द्वारा लोगों को भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने एवं जागरुक करने के लिए विविध कार्यक्रम किए जाते हैं। जब बात जागरुतकता की हो तो ऐसे में इंडस पब्लिक स्कूल कहाँ पीछे रहने वाला है। बतारी स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में वाद-विवाद, निबंध, श्लोगन लेखन, पोस्टर मेकिंग एवं चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, निबंध लेखन का विषय था भ्रष्टाचार एक जघन्य अपराध। इस प्रतियोगिता में बच्चों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। जिसमें प्रथम कक्षा ग्यारहवीं वाणिज्य संकाय की छात्रा अमिशा यादव, द्वितीय अभिजीत सिंह, तृतीय प्रज्ञा पांडेय रही। वाद-विवाद प्रतियोगिता में कक्षा ग्यारहवीं वाणिज्य एवं विज्ञान संकाय के छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और बेबाक राय एवं विचार से सबको प्रभावित किया । स्लोगन लेखन में कक्षा छठवीं की छात्रा अनवी सिंह प्रथम रही, द्वितीय सक्षम राठौर एवं तृतीय गौरव निर्मलकर रहा । सभी विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र दिए गए एवं जागरुकता अभियान में उनको इस सहयोग हेतु बधाई दी गई।
कार्यक्रम के शुरूआत में विद्यालय के हिंदी शिक्षक प्रहलाद प्रधान ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा किसी भी समाज में भ्रष्टाचार उस दीमक की तरह है जो भीतर ही भीतर खमोशी से उसकी जड़ों को खोखला कर देता है और अगर जड़ ही खोखली हो जायें तो समाज किसके सहारे खड़ा होगा । वैसे अगर बुराई को मिटाना हो, तो उसकी जड़ तक जाना जरूरी होता है । सवाल ये है कि आखिर भ्रष्टाचार के बढ़ने की वजह क्या है जो लोग बड़े ओहदों पर पहुंच कर समाज और देश की सेवा कसमें खातें हैं वो ही क्यों उसकी नींव को खोखला करने में जुट जाते हैं । अगर हमें इस भ्रष्टाचार की गुलामी से बाहर निकलना है तो सबसे पहले आगे खुद को आना पड़ेगा, विकास को, तरक्की को अपने जरूरतों को हमें दूसरे नजरिए से देखना होगा । हमें खुद ही ये आदत डालनी होगी की हम अपने आचार को भ्रष्ट होने नहीं देंगें । भ्रष्ट आचरण करने वाले लोगों पर सक्त से सक्त कार्यवाही करनी चाहिए, समाज में उसका घोर विरोध होना चाहिए । युवाओं को भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए आगे आना चाहिए ।
इंडस पब्लिक स्कूल के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि वास्तव में देश से यदि भ्रष्टाचार मिटाना है तो ने सिर्फ साफ स्वच्छ छवि के नेताओं का चयन करना होगा बल्कि लोकतंत्र के नागरिको को भी सामने आना होगा। उन्हें प्राणपण से यह प्रयत्न करना होगा कि उन्हें भ्रष्ट लोगों को समाज से न सिर्फ बहिष्कृत करना होगा बल्कि उच्चस्तर पर भी भ्रष्टाचार में संलिप्त लोगों का बायकॉट करना होगा। अपनी आम जरूरतों को पूरा करने एवं शीघ्रता से निपटाने के लिए बंद लिफाफे की प्रवृत्ति से बचना होगा। कुल मिला जब तब लोकतंत्र में आम नागरिक एवं उनके नेतृत्व दोनों ही मिलकर यह नहीं चाहेंगे तब तक भ्रष्टाचार के जिन से बच पाना असंभव ही है।
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