टेक्सटाइल फुटवियर और स्टेशनरी उत्पादों पर जीएसटी 12% करने का व्यापारी संघ ने किया विरोध…

रायगढ़ 08 दिसम्बर(वेदांत समाचार)। भारत सरकार ने जीएसटी परिषद ने प्रस्तावित जीएसटी की बढ़ोतरी का प्रस्ताव मानते हुए उसे पास कर दिया है जिससे टेक्सटाइल फुटवियर और स्टेशनरी उत्पादों पर जीएसटी 5% से बढ़ाकर 12% कर दी गई है। साथ ही कुछ अव्यावहारिक संशोधन जीएसटी में किए गए हैं। जिससे व्यापार जगत में खासा आक्रोश देखा जा रहा है गौरतलब है कि 70 वर्षों से देश का समूचा राजनीतिक तंत्र रोटी कपड़ा और मकान को करमुक्त रखने की वकालत करता रहा है। और सभी पार्टियां एक सुर में इस जुमले को हमेशा से ही दोहराती आई है कि आम नागरिक को लगने वाले दैनिक उत्पादों पर कर मुक्त रखा जावेगा। परंतु सन 2017 में वर्तमान सत्तारूढ़ दल ने जीएसटी प्रारंभ करते समय कपड़े पर तथा ब्रांडेड खाद्यान्नों के नाम पर 5% की दर से जीएसटी देश पर थोप दी जिसे अब 3 क्षेत्रों में बढ़ोतरी करते हुए टेक्सटाइल, फुटवियर और स्टेशनरी उत्पादों पर जीएसटी को 12% कर दिया गया है। जब से यह प्रस्ताव सामने आया है तब से लगातार विभिन्न व्यापारिक संगठन इसका विरोध करते आए हैं परंतु 18 नवंबर को भारत सरकार ने इन तमाम विरोधों को ताक में रखते हुए इन संशोधनों को मानकर राजपत्र भी जारी कर दिया है। व्यापारी संघ ऐसे अव्यवहारिक कर वृद्धि का पुरजोर विरोध करता है व्यापारी संघ के संयोजक राजेंद्र अग्रवाल एवं हीरा मोटवानी ने पत्र लिख कर देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से निवेदन किया है । कि टेक्सटाइल और फुटवियर यह दोनों ऐसे उत्पाद है जो हर आम और खास व्यक्ति को उपयोग में आते हैं। जबकि स्टेशनरी और किताबें जो छात्र से लेकर हर व्यापार व्यवसाय में काम आती हैं उन पर 5 से 28 प्रतिशत तक किया जाता है। ऐसे जन उपयोगी उत्पादों पर कर की वृद्धि करना अप्रासंगिक है वह भी तब जबकि जीएसटी अपने लक्ष्य से 30% ज्यादा एकत्रित हो रही है। हम भारत शासन से विशेषकर वित्त मंत्रालय से यह अपेक्षा करते हैं कि वह जन उपयोगी उत्पादों पर कर की दर को घटाएं और आम नागरिकों को इस महंगाई के जमाने में थोड़ी सी राहत प्रदान करें।

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