08 दिसम्बर(वेदांत समाचार)। उत्तराखंड सरकार पहाड़ में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर बनाने के लिए तमाम कोशिशें कर रही हैं, पर जब डॉक्टर ही टिकने को राजी नहीं तो सरकार भी क्या करे. वहीं, सरकारी मेडिकल कॉलेजों में MBBS की राज्य कोटे की सीटों पर प्रवेश के लिए कई युवाओं ने प्रदेश में निवास संबंधी फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया है. वहीं, डॉक्टर बनने के बाद ये युवा अस्पतालों से तो गायब चल ही रहे हैं लेकिन अब उनकी जानकारी भी नहीं मिल पा रही है. चूंकि NEET के बाद राज्य के मेडिकल कॉलेजों में 85 प्रतिशत सीटों पर उत्तराखंड और 15 प्रतिशत सीटों पर ऑल इंडिया कोटे के तहत प्रवेश की व्यवस्था है. लेकिन 85 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश के लिए कई युवा फर्जी पेपर दिखा रहे हैं.
दरअसल, बांड की व्यवस्था के तहत MBBS करने वाले कई डॉक्टरों की तलाश के बाद यह स्थिति सामने आई है. फिलहाल मेडिकल कॉलेजों ने बांड वाले गायब डॉक्टरों की लिस्ट स्थानीय जिला प्रशासन को दी है. इस दौरान जब जिला प्रशासन ने नोटिस भेजने के लिए जब डॉक्टरों का पता लगाया तो उनके द्वारा दिए गए पते गलत पाए जा रहे है. वहीं, स्थानीय लोगों से की गई पूछताछ में पता चला है कि उस नाम का कोई व्यक्ति या परिवार ही वहां पर नहीं रहता है.
MBBS की पढ़ाई करने वाले ड़ॉ ने कॉलेज डीन के गांव का दे दिया पता
बता दें कि एक दिलचस्प मामला सामने आया है. जहां श्रीनगर मेडिकल कॉलेज से MBBS करने वाले एक डॉक्टर ने अपना पता श्रीनगर के पास भैंसकोट बताया है. वहीं, कॉलेज के डीन प्रो सीएमएस रावत का भी यही गांव है. इस दौरान डीन डॉ सीएमएस रावत ने बताया कि उन्होंने पूरा गांव छान मारा है लेकिन उस नाम का न कोई शख्स यहां नहीं रहता है और न उनका परिवार पहले से रहता है. ऐसे में कई युवा छात्रों के फर्जी कागजातों की कलई खुल गई है. वहीं, यूएस नगर के तहसीलदार ने बांड का उल्लंघन कर गायब हुई एक डॉक्टर के मामलें में रिपोर्ट दी है कि यूएस नगर के शक्तिनगर महेशपुरा के दिए गए पते पर डॉक्टर नहीं रहती है. डॉक्टर के माता पिता भी गांव में नहीं रहते और उनके नाम पर कोई संपत्ति नहीं है. ऐसे में डॉक्टर को नोटिस नहीं मिल पा रहा है.
स्वास्थ्य शिक्षा विभाग ने कई अन्य डॉक्टरों पर जताया शक
गौरतलब है कि स्वास्थ्य शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार बांड वाले कई ऐसे डॉक्टर हैं जिनके कागजातों को लेकर काफी संदेह है. क्योंकि उन सभी छात्रों की पूरी पढ़ाई अन्य राज्यों की है. ऐसे में उनका स्थाई निवास व अन्य दस्तावेज राज्य में कैसे बन गए? फिलहाल इसमें कई जिलों के प्रशासन की भी लापरवाही ही सामने आई है. बिना कागजातों की जांच के ही दस्तावेज बन जाने की वजह से यह हो रहा है. सूत्रों ने बताया कि कई छात्र अब डॉक्टर बनने के बाद बांड से बचने के लिए गायब चल रहे हैं. ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि कहीं इनके कागजात फर्जी तो नहीं हैं.
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