फर्जी वैक्सीनेशन मामले के तार कश्मीर से जुड़े, सिविल सर्जन का दावा- ये साइबर हैकर की करतूत है…

बिहार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, सोनिया गांधी, अमित शाह और यूपी झारखंड के मुख्यमंत्री के नाम वैक्सीन (Vaccine) लेने वालों और आरटीपीसीआर जांच कराने वालो की लिस्ट में आने के बाद स्वास्थ्य विभाग की खूब किरकिरी हो रही है. इस बीच इस मामले में कश्मीर कन्केशन भी सामने आ रहा है. गया के टिकारी में वैक्सीन लेने वालों की लिस्ट में यूपी और झारखंड के मुख्यमंत्री के नाम सामने आने के बाद गया के सिविल सर्जन डा. कमल किशोर राय ने इसे साइबर क्राइम बताया है. साथ ही सिविल सर्जन ने इसका कश्मीर कनेक्शन होने की भी बात कही है..

इस मामले में बताया जा रहा है कि स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की जांच में एक संदिग्‍ध मोबाइल नंबर हाथ लगा है. कहा जा रहा है कि इस नंबर पर कॉल करने के बाद फोन उठाने वाला खुद को जम्मू कश्मीर का बता रहा है. इसके साथ ही ये बात भी सामने आ रही है कि कोविन पोर्टल पर गलत डाटा दर्ज करने के लिए वोटर आइडी के विकल्‍प का इस्‍तेमाल किया गया है.

थाने में साइबर क्राइम की शिकायत

इससे पहले बिहार के अरवल जिले में वैक्सीन लेने वालों की लिस्ट मे पीएम नरेन्द्र मोदी, सोनिया गांधी, अमित शाह और फिल्म स्टार अक्षय कुमार, प्रियंका चोपड़ा के नाम आने पर स्वास्थ्य विभाग की खूब किरकिरी हुई थी. यह मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि गया के टिकारी में वैक्सीन लेने वालों की लिस्ट में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई राजनीतिक हस्तियों के नाम सामने आ गए. जिसके बाद इस मामले में अस्‍पताल के उपाधीक्षक डा. विश्‍वमूर्ति मिश्रा ने थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराते हुए साइबर अपराध की संभावना जताई है. उनके मुताबिक साइबर अपराधियों ने इस कृत्‍य को अंजाम दिया है.

तेजस्वी ने नीतीश कुमार पर कसा तंज

बता दें कि बिहार में वैक्सीन लेने वालों और जांच कराने वालों की लिस्ट में राजनीतिक और सिनेमा जगत की हस्तियों के नाम आने के बाद विपक्ष को बैठे बिठाए एक मुद्दा मिल गया. जिसके बाद तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर हमला बोला और कहा कि बिहार को फिसड्डी राज्य बनाने वाले नीतीश कुमार के राज्य में इस तरह की करकूत आए दिन हो रही है. अरवल में मामला सामने आने के बाद इस मामले में दो डाटा इंट्री आपरेटरों प्रवीण कुमार और विनय कुमार को नौकरी से हटा दिया गया है. यहां दोनों आपरेटरों ने स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के अधिकारी पर ही दबाव बनाकर गलत डाटा दर्ज कराने का आरोप लगाया था.

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