कर्तव्य एवं अधिकार का सामंजस्य ही सुखी परिवार का आधार हैः- श्रीमती शीतल निकुंज, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा

कोरबा 5 दिसम्बर (वेदांत समाचार) बी.पी. वर्मा, माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) एवं राष्ट्रीय महिला आयोग के संयुक्त तत्वाधान मंे महिलाओं के अधिकारों के संबंध में द्वितीय विधिक सेमीनार/जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन दिनांक 05 दिसम्बर 2021 को जिला पंचायत कोरबा के सभागार कक्ष में किया गया। सर्वप्रथम मॉ शारदा की तैल्य चित्र से मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि के माध्यम से दीप प्रज्जवलन किया गया।

 
श्रीमती शीतल निकुंज सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के द्वारा अपने उद्बोधन में कहा गया है कि हमारे समाज का बहुत बड़ा हिस्सा महिलाओं का है, महिलाएं जागरूक होगी तो उनके बच्चे भी जागरूक होंगे सर्वप्रथम मॉ ही अपने बच्चों को संस्कार एवं ज्ञान देती है। आज के कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य समाज में महिलाओं के प्रति बढ़ रहे अपराध को कम करना, महिलाओं को उसके अधिकारों के बारे में जागरूक करना है। कर्तव्य एवं अधिकार का सामंजस्य ही सुखी परिवार का आधार है।

घरेलु हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005, लैगिंक उत्पीड़न, दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961, लैगिंक अपराधों से बालको का संरक्षण अधिनियम, महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न, (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम 2013, महिलाओं के स्वास्थ्य अधिकार,  विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 के अंतर्गत जानकारी देते हुये कहा गया कि विधिक सेवा प्राधिकरण का उद्देश्य समाज के कमजोर वर्ग को निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान करना है, ताकि कोई भी व्यक्ति या महिला न्याय से वंचित न रहें न्याय पाने का सभी को समान अधिकार है।


श्रीमती अंजली सिंह व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-दो, कोरबा के द्वारा कहा गया कि आज कल प्रायः देखा जा रहा है कि नाबालिक लड़कियॉं प्रेम जाल में फंसकर घर से भाग जा रही है। लड़की के घरवाले जब थाने मंे अपराध को पंजीबद्ध कराते है तो लड़की के द्वारा कहा जाता है कि वे अपने मर्जी से घर छोड़कर लड़के के साथ चली गई है। इसका दुष्परिणाम यह होता है कि नाबालिक लड़की को भगाने के जुर्म में लड़का या अन्य व्यक्ति फंस जाता है। कानून में नाबालिक लड़की की सहमति कोई मायने नहीं रखती है। महिलाओं एवं छात्राओं के साथ यदि किसी प्रकार का दुव्यवहार किया जाता है कि उसका तुरंत विरोध करना चाहिये। आपका एक विरोध आपके भविष्य में होने वाले गंभीर अपराध से बचा सकता है। संविधान में महिलाएॅं के मौलिक अधिकार, मूल कर्तव्य, घरेलु हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005, स्त्री धन वापसी के संबंध में जानकारी दी गई।


श्रीमती अर्चना उपाध्याय सदस्य छ.ग. राज्य महिला आयोग के द्वारा राष्ट्रीय महिला आयोग के कार्याे की जानकारी देते हुये कहा गया कि गिरफ्तार एवं बंदी महिलाओें के अधिकार के संबंध में जानकारी देते हुये कहा गया कि किसी भी महिलाओं को गिरफ्तार करने के लिये महिला पुलिस का होना आवश्यक है। महिलाओं की तलाशी महिला पुलिस के द्वारा ही लिया जाता है। साधारणतः अपराध में महिलाओं को सूर्यास्त के पश्चात् हिरासत में लेने का प्रावधान नहीं है। प्रत्येक जिले में कामकाजी महिलाओं के यौन उत्पीड़न की घटना की रोकथाम एवं उनके निराकरण हेतु जिले में आंतरिक कमेटी का गठन किया गया है। राष्ट्रीय महिला आयोग के कार्य। महिलाओं के स्वास्थ्य अधिकार, संदिग्ध और गिरफ्तार व्यक्तियों के अधिकार, महिला बंदियों के अधिकार के संबंध में जानकारी दी गई।


श्रीमती सरिता पाण्डेय, सदस्य, जिला उपभोक्ता आयोग के द्वारा जानकारी देते हुये कहा गया कि- महिलाएं के द्वारा किसी भी पारिवारिक मामले में शिकायत की जाती है तो उसके परिवार के हित में सर्वप्रथम महिला परामर्श केन्द्र भेजा जाता है। जहॉं दोनों पक्ष के बीच में सुलह कराने का प्रयास किया जाता है सुलह नहीं होने की स्थिति में महिलाओं के अपराध से संबंधित मामले को संबंधित संस्था या न्यायालय में भेजने की अनुमति दी जाती है। परिवार के ज्यादातर मामले को मध्यस्थता के माध्यम से निपटाया जा सकता है।

महिलाओं को बहुत से कानूनी अधिकार दिये गये है, इन अधिकारों के उपयोग के साथ-साथ परिवार के प्रति नैतिक कर्तव्यों का पालन करना भी अति आवश्यक है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006, माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण रख-रखाव तथा कल्याण अधिनियम 2007 से संबंधी जानकारी प्रदाय की गई। श्रीमती वंदना चन्द्रोसा पैरालीगल वॉलीण्टियर्स के द्वारा उपस्थित मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि  छात्राओं, मीडिया, प्रेस एवं आंगनबाड़ी, मितानिन, पैरालीगल वॉलीण्टियर्स का आभार प्रदर्शन किया गया।

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