दिल्ली में अभी हाल में एक बड़ी घटना सामने आई. यह वारदात साइबर धोखाधड़ी से जुड़ी थी. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया. यह घटना नवंबर महीने की है. चौंकाने वाली बात यह है कि तीनों अपराधी दिल्ली से गिरफ्तार हुए, लेकिन उनका सरगना एक अफ्रीकी नागरिक है. पूछताछ में पता चला कि अफ्रीकी नागरिक के इशारे पर दिल्ली में बैठे ये तीनों मुजरिम जरायम का धंधा चलाते थे.
पूछताछ में पुलिस को पता चला कि तीनों अपराधी क्लायंट को फांसते थे और उन क्लायंट की बैंक खाते से जुड़ी जानकारी वह अफ्रीकी नागरिक निकालता था. फिर इसी चोरी की जानकारी के आधार पर खाते से पैसे खींचे जाते थे. अफ्रीकी नागरिक निर्दोष लोगों के मोबाइल पर फिशिंग मैसेज भेजता और उससे बैंक अकाउंट नंबर, आईडी और पासवर्ड आदि चुरा लेता. यह गिरोह साधारण खातों में कम ही सेंधमारी करते. इनका ज्यादा ध्यान करंट और बिजनेस बैंक अकाउंट पर था जिसमें लाखों-करोड़ों का हिसाब होता था.
सही लिंक के बहाने संदिग्ध लिंक पर क्लिक
लूट और सेंधमारी के इस धंधे में इस गिरोह ने साइबर अपराध का नया जरिया ढूंढ निकाला था. इस नई तकनीक को क्लिकजैंकिंग का नाम दिया गया है. जैसा कि नाम से साफ है, यह अपराध क्लिक के जरिये अंजाम दिया जाता है. शातिर साइबर अटैकर इस तकनीक का पूरा इस्तेमाल करते हैं, दरअसल इसमें अटैकर किसी जेनुइन या सही लिंक पर आपको क्लिक करने के लिए बाध्य करेंगे जबकि उस सही लिंक की आड़ में किसी फ्रॉड लिंक पर क्लिक होगा.
कैसे होती है लूट
मोबाइल पर ऐसा मैसेज आता है कि आप अपने अल्टरनेट मोबाइल फोन नंबर को बदलवा लें. अगर किसी को ऐसी जरूरत हो या नया सिम कार्ड लेना हो तो उसे यह मैसेज जेनुइन लगेगा. इसके लिए कोई व्यक्ति अल्टरनेट नंबर बदलवाने के लिए लिंक पर क्लिक कर सकता है. सिम कार्ड बदलवाने की यह रिक्वेस्ट गलत हाथों में चली जाती है. सिम कार्ड बदलवाने के लिए ज्योंहि कार्ड को ब्लॉक किया जाता है, उसी दौरान साइबर अपराधी उस नंबर का सिम कार्ड निकलवा सकते हैं. नया सिम जब तक चालू हो तब तक खाते से पैसे निकाले जा सकते हैं.
डुप्लीकेट सिम से अपराध
दिल्ली में गिरफ्तार अपराधियों ने कुछ इसी तरह के काम को अंजाम दिया था. पीड़ित व्यक्ति को मोबाइल के कॉल सेंटर से पता चला कि उनके नंबर का सिम कार्ड किसी अनजान व्यक्ति ने लक्ष्मी नगर के एक स्टोर से निकाला था. पुलिस ने इसकी पूरी छानबीन की औस कॉल सर्विस प्रोवाइडर्स और बैंक से सूचना के आधार पर संदिग्ध लोगों की जानकारियां जुटाईं. इन संदिग्ध लोगों ने फर्जी वोटर आईडी के आधार पर सिम कार्ड जारी कराए थे. इस सिम के माध्यम से ऑनलाइन बैंकिंग का इस्तेमाल किया गया और पीड़ित के खाते से 10 लाख रुपये निकाल लिए गए.
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