पिता का खेत बचाने, बैल बन गईं बेटियां, मुख्यमंत्री बघेल ने ली सुध और कर दी मदद

रायपुर। जीवन में गरीबी किसी गंभीर बीमारी से कम नहीं होती, लेकिन इंसान को यदि अपने बच्चों का सहारा मिल जाए, संतान लायक निकल जाए और माता—पिता की लाचारी को समझकर सहयोग करने पर आ जाए, तो किस्मत बदल जाती है। ऐसा ही वाक्या छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले के उमरगांव निवासी अमल साय के साथ हुआ है।

परिवार को चलाने के लिए इस गरीब किसान अमल साय के पास थोड़ी जमीन थी। जिसके दम पर वह अपना परिवार का गुजारा चला रहा था। पर वक्त की मार के आगे उसकी मेहनत ने जवाब दे दिया और वह असहाय हो गया, जिसके चलते उसने अपने खेत का सौदा करने की सोच ली थी।

पिता के दर्द को उसकी दोनों बेटियों 22 साल की हेमबती और 18 साल की लखमी ने समझा और बेटियों ने अपने पिता को रोकते हुए कहा आप हमारी जिंदगी बदलने के लिए खेत बेचना चाहते हैं, लेकिन इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। यही खेत हमारी जिंदगी बदलेंगे। हम आपका साथ देंगी। बेटियों की मदद के बाद किसान अमल साय की खेती संभलने लगी।

राजीव गांधी किसान न्याय योजना ने भी परिवार को संबल दिया। उन्हें उपज की अच्छी कीमत मिलने लगी। अब यह परिवार कम संसाधनों के बावजूद पांच एकड़ में खेती करता है, लेकिन इसके लिए बेटियों को अपने बुजुर्ग माता-पिता के साथ अब भी कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।इसकी जानकारी लगने के बाद मुख्यमंत्री बघेल ने कोंडागांव जिला कलेक्टर से परिवार की पूरी जानकारी मंगाई, ताकि उनकी मदद की जा सके। मुख्यमंत्री ने इस परिवार के लिए 04 लाख रुपए की मदद स्वीकृत की है।

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