नाइट क्रीम में पैसे बर्बाद न करें, नारियल के तेल से अच्‍छी नाइट क्रीम और कोई नहीं..

क्‍या आपको पता है कि पूरी दुनिया में कॉस्‍मैटिक्‍स यानि ब्‍यूटी प्रोडक्‍ट्स क बाजार डेढ़ हजार बिलियन डॉलर का है यानि उतना बड़ा बाजार, जितना कि मेडिसिन और हेल्‍थ सर्विसेज का भी नहीं है.

इस बिलियन डॉलर ब्‍यूटी इंडस्‍ट्री का एक बड़ा हिस्‍सा नाइट क्रीम्‍स का है यानि रात में सोने से पहले त्‍वचा को चमकाने और निखारने के लिए लगाई जाने वाली क्रीम. इस नाइट क्रीम में एक एजिंग वाला तत्‍व और मिला दें तो कंपनियां दावा करती हैं कि 40 के बाद और 50 के बाद फलाने ब्रांड की नाइट क्रीम लगाने से एजिंग रुक जाती है. त्‍वचा से उम्र का पता नहीं चलता

हम सब अपनी मेहनत के हजारों रुपए इन महंगे कॉस्‍मैटिक्‍स में फूंक देते हैं क्‍योंकि सुंदर और जवान दिखने की चाह भला किसे नहीं होती.

लेकिन क्‍या आपको पता है कि दुनिया की सबसे अच्‍छी नाइट क्रीम किसी कंपनी का महंगा प्रोडक्‍ट नहीं, बल्कि नारियल का तेल है. सैचुरेटेड फैट से भरपूर नारियल के तेल में वो सारे जरूरी तत्‍व होते हैं जो त्‍वचा को भीतर से स्‍वस्‍थ बनाने और निखारने के लिए जरूरी हैं.

आर्टिफिशियल एंटी एजिंग क्रीम्‍स और प्रोडक्‍ट हमारी त्‍वचा को क्रीम का एडिक्‍ट बनाते हैं और एजिंग की स्‍पीड भी बढ़ा देते हैं. अगर आप एक साल तक लगातार इन एंटी एजिंग क्रीमों का इस्‍तेमाल करें तो फिर उसे लगाए बिना त्‍वचा बूढ़ी और कमजोर नजर आएगी.

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इसलिए सलाह दी जाती है कि कृत्रिम क्रीमों की जगह जहां तक हो सके, प्राकृतिक चीजों का ही इस्‍तेमाल करें. आर्टिफिशियल प्रोडक्‍ट से बचें.

नारियल तेल की तरह जैतून या एवाकाडो का तेल भी त्‍वचा के लिए किसी नकली क्रीम से ज्‍यादा फायदेमंद होता है लेकिन वो नारियल तेल से ज्‍यादा फायदेमंद नहीं होता. जिन देशों में ऑलिव पैदा होता है, उनके लिए वो अच्‍छा है, लेकिन अगर हमारे देश में नारियल पैदा हो रहा है तो हमें उसी का प्रयोग करना चाहिए.

नारियल की एक खास बात ये भी है कि वह ऑलिव और एवाकाडो की तरह लो चेन फैट होता है. उसमें पाए जाने वाले एमिनो एसिड जल्‍दी और आसानी से टूटकर त्‍वचा में समाहित हो जाते हैं. कहने का आशय यह है कि त्‍वचा उसे जल्‍दी और आसानी से अब्‍जॉर्ब कर लेती है. ये तेल त्‍वचा के पोरों में घुसकर उसे भीतर से पोषित करने का काम करता है.

वैसे भी सुंदर दिखने और त्‍वचा की सेहत को बनाए रखने का असली राज यही है कि उसे बाहर से चमकाने की बजाय भीतर से पोषण देने की कोशिश की जाए.

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