शासकीय महाविद्यालय करतला के राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा मनाया गया संविधान दिवस

कोरबा 26 नवंबर (वेदांत समाचार)। भारत सरकार के आदेशानुसार शासकीय महाविद्यालय करतला के राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया गया । कार्यक्रम की शुरुआत आज के प्रभारी प्राचार्य डॉ. प्रभाकर दर्शन द्वारा मौजूद छात्र-छात्राओं, प्राध्यापकों एवं समस्त स्टॉफ को संविधान की प्रस्तावना की शपथ दिला कर हुई। प्रस्तावना पर चर्चा करते हुए डॉ. दर्शन ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना मात्र प्रस्तावना नहीं है। यह एक सपना है जो भारत के लिए देखा गया है ।


कार्यक्रम में व्यवहार न्यायालय करतला की न्यायाधीश सुश्री अंजली सिंह के निर्देशन में मुख्य वक्ता के रूप में पधारे अधिवक्ता सुरेंद्र साहू, राजेंद्र दुबे, गजेंद्र वैष्णव तथा रामेश्वरी कंवर, विधिक सेवा समिति करतला, पत्रकार लखन गोस्वामी, अध्यक्ष छत्तीसगढ़ जर्नलिस्ट यूनियन करतला इकाई एवं अधिवक्ता, जिला एवं सत्र न्यायालय, कोरबा, निमेष कुमार राठौर, उपाध्यक्ष, छत्तीसगढ़ जर्नलिस्ट यूनियन करतला इकाई एवं अधिवक्ता, जिला एवं सत्र न्यायालय, कोरबा तथा पुलिस विभाग से कमल किशोर राठौर उपस्थित रहें । अधिवक्ता सुरेन्द्र साहू ने बताया कि संविधान में भारत को प्रभुत्व संपन्न लोकतंत्रात्मक, धर्म निरपेक्ष, समाजवादी, गणराज्य कहा गया है। भारत का संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है। उन्होने बताया कि संविधान की प्रस्तावना में 26 नवम्बर 1949 का उल्लेख उस दिन के रूप में किया गया है जिस दिन भारत के लोगों में संविधान सभा में संविधान को अपनाया। प्रस्तावना को पूरे संविधान को लागू करने के बाद 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। अधिवक्ता राजेंद्र दुबे ने बताया कि भारतीय संविधान के भाग-3 में मूल अधिकार एवं भाग-4 मेें अनुच्छेद 36-51 तक राज्य के नीति निर्देशक तत्व हैं। एकीकृत एवं स्वतन्त्र न्याय पालिका भी भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषता है। पत्रकार लखन गोस्वामी ने संविधान के अंगों के बारे में बताते हुए प्रमुख अंग विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की चर्चा की। पत्रकार निमेष कुमार राठौर द्वारा द्वारा संविधान की रूप रेखा पर विस्तार से प्रकाश ड़ाला ।


कार्यक्रम का संचालन रासेयो कार्यक्रम अधिकारी प्रभाशंकर यादव ने किया। उन्होने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में आज की तारीख का विशेष महत्व है। क्योंकि इसी दिन परतंत्रता की जंजीरों से आजाद होकर अपने स्वतंत्र अस्तित्व को आकार देने का प्रयास कर रहे राष्ट्र ने संविधान को अंगीकृत किया था। कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापगण विजय शर्मा, आसमां सिंह, शुभम ढोरिया, शिल्पी राठिया, रमेश कुमार यादव, छबीलाल श्रीवास एवं शकुंतला खांडे तथा स्वयंसेवकों में रूपेश राठिया, विनोद, अजय, आयुष, तुलसी, महेश, उमेश्वर, नूतन कुमार, वीरेंद्र कुमार , टोपेश्वर सुनीता, दिनेश,गंगोत्री, शशिकला, दिलेश्वरी, पद्मनी, प्रीति, शशांक, रेणुका, संदीप आदि उपस्थित रहे ।