किसान आंदोलन की वजह से टिकरी बॉर्डर बंद होने पर 30 हजार करोड़ का नुकसान, 7 हजार फैक्ट्रियां प्रभावित, बेरोजगार हो गए लाखों मजदूर..

तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर पिछले 14 महीने से किसान दिल्ली के बॉर्डर पर डटे हुए हैं. हालांकि केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानूनों को अब रद्द कर दिया है, लेकिन अब तक टिकरी बॉर्डर बंद रहने की वजह से 30 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है. यह नुकसान सिर्फ बहादुरगढ़ का है. दरअसल किसान आंदोलन की वजह से बहादुरगढ़ की 7 हजार इंडस्ट्रीज प्रभावित हुईं, जिनमें 1600 फैक्ट्रियां सिर्फ फुटवियर बनाने वाली हैं. इन फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूरों की संख्या 5 लाख से ज्यादा थी. काम न होने की वजह से इन मजदूरों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा. किसान आंदोलन की वजह से ये सभी फैक्ट्रियां फिलहाल बंद हैं.

सरकार द्वारा कृषि कानून वापस लेने के बाद अब बिजनेसमैन और मजदूरों को एक बार फिर से किसान आंदोलन (Farmer Protest) खत्म होने की उम्मीद है. दरअसल किसानों के आंदोलन की वजह से टिकरी बॉर्डर बंद है. इसीलिए बिजनेस को करीब 28 से 30 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. दरअसल इसके आस पास के इलाकों में मौजूद फैक्ट्रियों में 5 लाख से ज्यादा मजदूर काम करते थे. आंदोलन की वजह से रास्ता बंद हो गया. इसका असर सीधे फैक्ट्रयों के काम पर पड़ा. जिसकी वजह से मजदूरों से काम छिन गया. मजबूरन इन सभी को यहां से पलायन करना पड़ा.

आंदोलन की वजह से 1600 फैक्ट्रियों पर लगे ताले

प्लांटों में किराए पर चलने वाली इंडस्ट्री बंद हो गईं. लेकिन कृषि कानून रद्द होने के बाद फिर से रास्ता खुलने और इन फैक्ट्रियों के शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है.बता दें कि बहादुरगढ़ में इंजीनियरिंग, फुटवियर, पैकेजिंग और टाइल्स की इंडस्ट्रीज हैं. बहादुरगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्न अंड इंडस्ट्री के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट नरेंद्र छिकारा का कहना है कि बहादुरगढ़ में पूरे देश के लिए नॉन लेदर फुटवियर बनाए जाते हैं. इतना ही नहीं यहां से फुटवियर विदेशों में भी एक्सपोर्ट किए जाते हैं. लेकिन किसान आंदोलन की वजह से करीब 60 से 70 फीसदी बिजनेस बंद हो चुके हैं.

टिकरी बॉर्डर बंद होने से 30 हजार करोड़ का नुकसान

बता दें कि किसान पिछले 14 महीनों से दिल्ली-हरियाणा के बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी किसानों की मांग थी कि सरकार तीन कृषि कानून वापस ले ले. कई दौर की बातचीत के बाद भी किसानों की मांगों और सरकार के बीच सहमति नहीं बन सकी. जिसकी वजह से किसान अपनी जिद पर अड़े रहे. लेकिन अब पीएम मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया है. जिसके बाद किसान आंदोलन खत्म होने की उम्मीद जताई जा रही है.