बिहार19 नवंबर (वेदांत समाचार)। औरंगाबाद जिले में फर्जी शिक्षकों पर गाज गिरने लगी है. जहां 2 दर्जन ब्लॉक शिक्षकों की नौकरी उनकी नियुक्ति की तारीख से ही खत्म कर दी गई है. शिक्षा विभाग के राज्य अपीलीय प्राधिकार ने इन शिक्षकों की नियुक्ति को पूरी तरह अवैध माना है. इसके साथ ही विभाग ने इन शिक्षकों की नियुक्ति को धोखाधड़ी और जालसाजी भी माना है और इसके लिए इस ब्लॉक के BDO और BEO को जिम्मेदार ठहराते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.
दरअसल, ये मामला औरंगाबाद जिले के मदनपुर ब्लॉक का है. वहीं, शिक्षा विभाग ने इससे पहले 2 अन्य मामलों की सुनवाई करते हुए राज्य अपीलीय प्राधिकार ने नालंदा के 22 और सहरसा के 5 शिक्षकों की नियुक्ति को अवैध मानते हुए इन्हें आदेश करने की तारीख से हटाने का फैसला सुनाया है. इस तरह कुल 51 शिक्षकों की नौकरी से छुट्टी कर दी गई है.
DEO ने अवैध मानते हुए शिक्षकों को हटाने के दिए निर्देश
बता दें कि मदनपुर ब्लॉक का यह मामला साल 2013 का है. जहां जिला शिक्षा अधिकारी ने अपनी जांच में नियुक्तियों को अवैध मानते हुए इन शिक्षकों को हटाने का निर्देश दिया था. इसके खिलाफ जिला शिक्षक अपीलीय प्राधिकार में प्रभावित शिक्षक गए और इस मामले में डीडीए ने शिक्षकों को राहत दे दी. इसके बाद डीईओ राज्य अपीलीय प्राधिकार में गए. इस दौरान प्राधिकार के चेयरमैन अशोक कुमार सिन्हा ने 21 पन्नों का अपना फैसला दिया है.
मदनपुर ब्लॉक के BDO और BEO के खिलाफ दर्ज होगी FIR
गौरतलब है कि इसमें पटना हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को भी शामिल करते हुए उन्होंने निष्कर्ष दिया है कि इन अवैध नियुक्तियों के लिए BDO और BEO जिम्मेदार हैं. इस मामले में जिला पदाधिकारी को इन 2 के खिलाफ आरोप गठित कर कड़ी सिफारिश के साथ सरकार को भेजने का निर्देश दिया गया है. इसके साथ ही उचित कानूनी सलाह लेने के बाद जिलाधिकारी, BDO और BEO पर आपराधिक केस भी दर्ज करवाएंगे.
शिक्षकों को 1 दिन भी काम करने योग्य नहीं समझा जाएगा
वहीं, इस मामले में लिस्ट बनाने में गड़बड़ी सामने आई है. बीटीईटी और प्रशिक्षण का जाली प्रमाण पत्र नियुक्ति का आधार बनाया गया. इस पर अध्यक्ष ने फैसले में कहा है कि नियुक्ति की तारीख से ही नियुक्ति निरस्त की जाती है. इस दौरान शिक्षकों को उनके रद्द की गई नियुक्तियों के आधार पर एक दिन के लिए भी काम करने के योग्य नहीं समझा जाएगा. साथ ही इनके वेतन का कोई बकाया भुगतान नहीं किया जाएगा. अगर ऐसा कुछ भुगतान किया गया है, तो वह उनसे जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा वसूल किया जाएगा. उन्होंने जिलाधिकारी को तय समय सीमा में प्राधिकरण के आदेश को पालन करने के लिए कहा है.
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