इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के विद्यार्थियों ने सीखा स्ट्रेस मैनेजमेंट, विद्यालय में आयोजित हुई विशेष कार्यशाला

0 ख्यातिलब्ध कार्पोरेट ट्रेनर तथा काऊंसलर श्री एस.के. राजीव नायर ने दिए इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के विद्यार्थियों को स्ट्रेस मैनेजमेंट के विभिन्न टिप्स ।

कोरबा,17 नवम्बर (वेदांत समाचार)। तनाव मूल रूप से विघर्षण है । हमारा शरीर लगातार बदलते वातावरण के साथ समायोजन करते हुए इसका अनुभव करता है । सकारात्मक दृष्टिकोण हमें तनाव से मुश्किल हालात से जूझने की प्रेरणा और ताकत देता है । नकारात्मक प्रभाव देखें तो यह हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का विनाश भी करता है । कार्य की समय सीमा परिवार की जिम्मेदारी, दर्द, ट्रैफिक जाम, आर्थिक दबाव साथ ही साथ कार्यक्षेत्र में पदोन्नति, नया घर और शादियाँ तनाव के कई ऐसे कारण हैं जो हमें प्रतिदिन प्रभावित कर रहे हैं । परिवर्तन अपने आप में तनावपूर्ण है । साथ ही कोई परिवर्तन न होना भी तनावपूर्ण है । इससे बचा नहीं जा सकता लेकिन हमने यदि इस परिस्थिति से सामंजस्य बनाना सीख लिया तो आगे हमारी जिंदगी सरल, सुखद व सफल अवश्य हो सकती है ।
यदि वर्तमान परिपेक्ष्य में हम गौर से दृष्टि डालें तो प्रत्येक मनुष्य तनाव के दौर से ही गुजर रहा है । आज चहुँओर प्रतिस्पर्धा का ही बोलबाला है । आज विद्यार्थी भी विभिन्न प्रकार से तनावग्रस्त होकर अपना बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाते । यदि समय रहते विद्यार्थियों के बालमन को तनाव से मुक्त करने का उपाय या सुझाव दे दिया जाए तो वे अपना बेहतर प्रदर्शन करते हैं ।


उपरोक्त सभी बातों का ध्यान में रखते हुए इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में विशेषकर बोर्ड कक्षा 10 वीं एवं 12 वीं के विद्यार्थियों के लिए स्ट्रेस मैनेजमेंट विषय पर विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया । चूँकि आज की इस प्रतिस्पर्धा के माहौल में यदि हम तनावग्रस्त हो गए तो फिर हम सफलता को स्पर्श नहीं कर पाएँगें अतः विशेष रूप से बोर्ड कक्षा के विद्यार्थियों के लिए विशेष आमंत्रित प्रशिक्षक श्री एस.के. राजीव नायर (कार्पोरेट रिलेशन मैनेजर, छत्रपति शिवाजी ग्रुप ऑफ इन्स्टिट्यूसन दुर्ग) के द्वारा विद्यार्थियों को स्ट्रेस मैनेजमेंट के विभिन्न टिप्स दिए गए । उन्होंने विद्यार्थियों को योगा एवं मेडिटेशन कराकर उनके लाभों के बारे में बताया । इस कार्यशाला में 10 वीं एवं 12 वीं के विद्यार्थियों से काऊंसलिंग ट्री बनवाया गया जिसमें विद्यार्थियों ने तीन सकारात्मक एवं तीन नकारात्मक बातें स्वयं के बारे में लिखीं । सकारात्मक बातों में किसी विद्यार्थी ने परोपकार, सपोर्ट व खुशहाल जीवन के बारे में लिखा तो किसी ने अन्य पर विश्वास खेल की भावना, परिस्थितिवश परिवर्तन के बारे में लिखा वहीं विभिन्न नकारात्मक पहलुओं पर भी विद्यार्थियों ने प्रकाश डाला, जैसे-मोबाइल की लत, दूसरों पर जल्दी से विश्वास, खुद के प्रति हीन भावना, शीघ्र क्रोधित हो जाना, दुखी हो जाना, असफलता का डर, अकेलापन इत्यादि विचार शामिल थे । साथ ही काऊंसलिंग ट्री में विद्यार्थियों ने अपनी-अपनी हॉबी भी लिखी जैसे-खेल, डाँस, संगीत सुनना इत्यादि । ट्रेनर श्री नायर ने काऊसलिंग ट्री में एक कालम यह भी बनवाया था जिसमें लिखा गया था कि आप अपनी जिंदगी में सबसे ज्यादा किस पर विश्वास करते हो ? विद्यार्थियों ने अपने माता-पिता, सहपाठियों और अपने भाई-बहनों पर भरोसा जताया । इस काऊंसलिंग ट्री के द्वारा विद्यार्थियों ने अपनी आंतरिक खूबियों और कमियों को उजागर किया ।

एस.के. राजीव नायर(कार्पोरेट रिलेशन मैनेजर, छत्रपति शिवाजी ग्रुप ऑफ इन्स्टिट्यूसन दुर्ग) ने कहा कि यदि हम अपनी क्षमताओं और कमियों को जान लें तो हमें जीवन में अवश्य सफलता मिलती है । समय रहते हमें अपनी कमजोरियों पर विजय प्राप्त करने का अवश्य प्रयास करना चाहिए । हमें अपनी जीवनशैली में आध्यात्मिकता का भी समावेश करना चाहिए । हमें अपने मन को केन्द्रित कर अपने अंदर उतरने का प्रयास करना चाहिए । सभी दबाव व तनाव से दूर रहकर प्रतिदिन कुछ पल योगा एवं मेडिटेशन के लिए भी समय निकालें । यदि हम किसी भी कार्य को पूरी ऊर्जा के साथ बिना किसी दबाव या तनाव के करते हैं तो हमें अवश्य सफलता मिलती है । हमें पूरी ईमानदारी से सिर्फ अपना कार्य करना है । हमें फल की इच्छा न कर केवल ईमानदार प्रयास करना चाहिए । यदि हम सभी कार्य नियत समय पर पूर्ण कर लें तो हमें कभी भी दबाव या तनाव महसूस नहीं होगा रही बात स्ट्रेस या डिप्रेशन की तो इनसे निजात पाने के लिए हमें अपनी जीवनशैली में वैज्ञानिकता के साथ ही साथ आध्यात्मिकता का समावेश करना ही होगा । हमें योगा व प्राणायाम को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाना ही होगा । हम सदैव प्रसन्नचित रहना होगा । क्योंकि प्रसन्न रहना अर्थात तनाव से हमेशा दूरी ।

विद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि आज के इस प्रतिस्पर्धी माहौल में विद्यार्थी ने चाहते हुए भी दबाव व तनाव महसूस करते हैं । यदि हम दबाव व तनावपूर्वक कोई भी कार्य करते हैं तो हमें आशा के अनुरूप सफलता कभी नहीं मिल सकती । सफलता पाने के लिए तनावमुक्त जीवनशैली व समय-नियोजन अतिआवश्यक है ।


संस्कृत में स्वास्थ्य के लिए शब्द है -स्वस्ति अर्थात प्रबुध्द व्यक्ति जो स्व में स्थित है । स्व में बने रहने की पहली निशानी है उत्साह । और उत्साह का समावेश हमारी जिंदगी में तभी होगा जब हमारी जीवनशैली तनावमुक्त हो । हम एक ऊर्जा के बादल में हैं जिसे चेतना कहते हैं ये एक मोमबत्ती और बाती जैसा है । जब हम मोमबत्ती जलाते हैं तो ज्योति प्रकट होती है । मोमबत्ती में भी वही हाइड्रोकार्बन है । लेकिन जब उसे प्रज्ज्वलित किया जाता है तब ज्योति केवल उसकी चोटी पर टिमटिमाती है । इसी तरह हमारा शरीर मोमबत्ती की बाती की तरह है और इसके आसपास जो है वह चेतना है जो हमें जीवित रखती है । अतः हमें अपने मन और आत्मा का ध्यान रखना चाहिए । कभी भी दबाव व तनाव को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए । हमें तनाव को जीवन से दूर करने के लिए मनपसंद पर्यटन स्थल का भी भ्रमण करना चाहिए । मेडिटेशन के साथ ही साथ अपने परिवार के साथ समय बिताना चाहिए व समय प्रबंधन पर विशेष ध्यान दें ।

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