खादी ग्राम उद्योग की नई पहल, नदियों में प्रदूषण रोकने के लिए मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों से बनाई जाएंगी सुगंधित अगरबत्ती…

15 नवंबर (वेदांत समाचार)। आम दिनों में या फिर किसी त्योहार के समय जब हम पूजा पाठ करते हैं तो भगवान को चढ़ाए हुए फूलों को नदियों में विसर्जित कर देते हैं. खादी ग्राम उद्योग की ओर से नई पहल की गई है. इसके तहत मंदिरों और घरों से निकले हुए फूलों को नदियों में बहाने के बजाए उसे रिसाइकिल करके सुगंधित अगरबत्ती बनाने का काम शुरू किया जा रहा है.

नई दिल्ली में आईटीपीओ (भारतीय व्यापार संवर्धन संगठन) मेले में खादी से बने वस्तुओं की प्रदर्शनी लगाई गई है, जिसमें आत्मनिर्भर भारत और लोकल फोर वोकल को तरजीह दिया जा रहा है. खादी लोकल फार वोकल के तहत उन लोगों को आर्थिक मदद भी कर रहा है जो स्वंय समूह के माध्यम से काम शुरू कर रहे हैं.

दिल्ली से बड़े मंदिरों से करार

इस क्षेत्र में काम करने वाली उद्ममी सुरभी बंसल ने Tv9 भारतवर्ष से खास बातचीत में बताया कि हमने दिल्ली के बड़े मंदिर जिसमें कनॉट प्लेस का हनुमान मंदिर, लोधी रोड का सांई बाबा मंदिर शामिल है उससे करार किया है. वहां प्रतिदिन प्रयोग में लाए जाने वाले फूलों को हम भगवान पर चढ़ाने के बाद रिसाइकिल करते हैं.

रोजाना दो टन फूल हो रहे रिसाइलकल

सुरभी बंसल ने बताया कि इस समय दिल्ली में रोजाना दो टन फूल उनकी संस्था की ओर से रिसाइकिल किया जा रहा है, जिसमें महिलाओं की ओर से पहले फूलों को सुखाया जाता है इसके बाद उसे मशीन में डालकर अगरबत्ती बनाया जाता है.

पूरी तरह आर्गेनिक है

इस तरह के प्रोडेक्ट सामान्य प्रोडक्ट से काफी बेहतर है. खादी की ओर से यह बताया गया कि सामान्य अगरबत्ती में 18 प्रतिशत तक कार्बन का उत्सर्जन होता है. इसके ठीक विपरीत इस तरह के प्रोडक्ट को बनाने के बाद महज तीन प्रतिशत तक ही कार्बन का उत्सर्जन होता है जो कि वातावरण के लिहाज से भी काफी सही है.

ट्रेनिंग दी जा रही है

ऐसे लोग जो इस तरह के चीजों को बनाकर अपना रोजगार शुरू करना चाहते हैं उनके लिए खादी ग्राम उद्योग की ओर से ट्रेनिंग की भी विशेष व्यवस्था की जा रही है. वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की ओर लोगों को इस बात की ट्रेनिंग दी जा रही है कि कैसे इस तरह के प्रोडक्ट को बनाया जा सकता है. केंद्रीय मंत्री नारायण राणे का कहना है कि खादी को जब हम गांव-गांव से जोड़ेंगे तो उससे गांवों के स्तर पर आर्थिक सम्पन्नता आएगी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत की कोशिशों को बल मिलेगा और खादी जन जन तक पहुंचेगा.

[metaslider id="122584"]
[metaslider id="347522"]