राजस्थान 14 नवंबर (वेदांत समाचार)। के राजसमंद जिले की महिलायें भी शराबबंदी के लिए के आरपार की लड़ाई लड़ीं और जीतीं. जहां महिलाओं ने शराब की दुकान हटाने के लिए शुरू की लड़ाई को वोटिंग तक पंहुचाया और प्रशासन को गांव से शराब की दुकानें हटाने के लिए मजबूर कर दिया. अब फिलहाल 2 और ग्राम पंचायतों में शराबबंदी हो गई है. इस दौरान शराबबंदी के लिए पंचायतों में हुई वोटिंग में लोगों ने जमकर खुशी दिखी. वहीं, सुबह 8 से शाम 5 बजे तक शराब बिक्री के खिलाफ वोटिंग हुई. इसमें 64.35 प्रतिशत मतदान हुआ. जल्द ही रिजल्ट भी सामने आ गया है. कुल 5632 ने वोट डाला, जिनमें से 3624 वोट शराब बंद कराने के लिए पड़े. यानि कि 64 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने शराबंदी के पक्ष में वोट डाले.
दरअसल, राजसमंद देश का ऐसा जिला है, जिसके भीम उपखंड की 3 ग्राम पंचायतें पहले ही शराबबंदी कर चुकी हैं. वहीं, अब बरार और हामेला के लोगों ने भी बीते शनिवार को शराबबंदी के पक्ष में वोटिंग की है. जहां 2 ग्राम पंचायत के लिए बरार के राजीव गांधी सेवा केंद्र पर पांच बूथ बनाया गया था. ऐसे में प्रशासन ने बैलट पेपर पर मतदान किया. वहीं, मतदान केंद्र के बाहर क्षेत्रीय विधायक, बरार सरपंच और हामेला की सरपंच ने गांव वालों को शराबबंदी के पक्ष में मतदान करने की अपील करते रहे. पीठासीन अधिकारी ने बताया कि सुबह 8 बजे मतदान प्रक्रिया शुरू हुई थी. जोकि शाम 5 बजे तक 64.35 प्रतिशत मतदान दर्ज हुआ.
मतदान के दौरान सबसे ज्यादा खुश दिखीं महिलाएं
बता दें कि शराब की वजह से सबसे ज्यादा महिलाओं को परेशानी झेलनी पड़ती है. ऐसे में शहर हो या गांव, जहां भी शराब की दुकान होती है, उसके आसपास के क्षेत्र में शराबियों का आतंक मंडराता रहता है, इससे सबसे ज्यादा प्रभावित महिलाएं ही होती हैं. वहीं, शनिवार को शराबबंदी के खिलाफ वोट डालने महिलाएं खुद घर से निकलकर बूथ पहुंच रही थीं. इस दौरान कई महिलाओं ने बताया कि चाहे उन्हें परेशानी हुई हो या नहीं, लेकिन कोई जवान बेटा शराब के नशे में खुद को गलत रास्ते पर ले जाता है तो उसका पूरा घर बर्बाद हो जाता है.
बीते सालों में 3 ग्राम पंचायते मुक्त हुई शराब से
गौरतलब है कि इससे पहले साल 2017 में भीम पंचायत की ही काछबली ग्राम पंचायत में, 2018 में मंडावर और 2021 में ही भीम की थानेटा ग्राम पंचायत में शराब बंदी लागू हो चुकी है. वहीं, राजस्थान में वोटिंग पर शराबबंदी का क़ानून तो 1973 में ही बन गया था, लेकिन पहली बार इस कानून का प्रयोग उदयपुर संभाग के राजसमन्द जिले के काछबली गांव की महिलाओं ने किया था. जब महिलाओं ने चुनाव करवाने के लिए कमर कसी और जमकर इसके लिए प्रचार भी किया.
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